- Hindi News
- कानून
- तान नदी के पास राख डंपिंग मामला: हाईकोर्ट का सख्त रुख, पर्यावरण मंडल अधिकारी को 7 अक्टूबर को तलब
तान नदी के पास राख डंपिंग मामला: हाईकोर्ट का सख्त रुख, पर्यावरण मंडल अधिकारी को 7 अक्टूबर को तलब
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा जिले के कोनकोना गांव में नदी के पास पत्थर खदान में थर्मल पावर प्लांट्स द्वारा राख (फ्लाई ऐश) डंप करने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि राख फेंकने की अनुमति देना पर्यावरण मंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन है।
500 मीटर की दूरी का नियम टूटा
याचिकाकर्ता गोविंद गौर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने कोर्ट में दलील दी कि कोरबा के थर्मल प्लांट्स राख को कोनकोना ऑर्डिनरी स्टोन माइंस के गड्ढों में डाल रहे हैं। ये गड्ढे तान नदी (हसदेव की सहायक नदी) से महज 150 मीटर की दूरी पर हैं।उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने 28 अगस्त 2019 के आदेश में साफ निर्देश दिए हैं कि राख डंपिंग किसी भी नदी या जलस्रोत से कम से कम 500 मीटर दूर होनी चाहिए। इस तरह, नियमों को ताक पर रखा गया।
नदी को नाला बताकर नियमों को दरकिनार करने का आरोप
याचिका में यह भी गंभीर आरोप लगाया गया है कि सरकारी निरीक्षण रिपोर्ट में नदी को 'नाला' दिखाकर नियमों को दरकिनार किया गया। जबकि खनन योजना और पर्यावरणीय स्वीकृति में यह साफ लिखा गया था कि खदान के गड्ढे को जलाशय के रूप में विकसित किया जाएगा।
कोर्ट ने मांगा व्यक्तिगत शपथ पत्र
पर्यावरण संरक्षण मंडल (रीजनल ऑफिस, कोरबा) की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राख डंपिंग की दी गई सभी अनुमतियां पहले ही रद्द कर दी गई हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता ने इस दावे को गलत बताते हुए कहा कि राख अभी भी डंप की जा रही है।कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, कोरबा रीजनल ऑफिस के अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत कर स्पष्ट करें कि वास्तविक स्थिति क्या है। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को तय की गई है।
