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मेकाहारा में बड़ा फर्जीवाड़ा: सुरक्षा पर 50 लाख खर्च फिर भी वाहन चोरी जारी, 168 में से 70 कैमरे बंद
रायपुर । राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल अंबेडकर अस्पताल (मेकाहारा) में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर हर महीने लाखों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन निजी सुरक्षा एजेंसी को हर माह लगभग 50 लाख रुपये का भुगतान करता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अस्पताल परिसर में चोरी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों के सारे दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं।
सुरक्षा में तैनात बड़ी संख्या में गार्ड सिर्फ कागजों में दिखते हैं। सूत्रों का कहना है कि एजेंसी द्वारा 170 सुरक्षाकर्मी तैनात बताए जाते हैं, जबकि मौके पर पर्याप्त गार्ड मौजूद नहीं रहते। पार्किंग क्षेत्र, ओपीडी गेट और इमरजेंसी ब्लॉक जैसे जरूरी स्थानों से भी गार्ड अक्सर नदारद दिखते हैं। इससे मरीजों के परिजन और आम नागरिक खुद को गंभीर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
साल भर में 30 वाहन गायब, हर माह हो रही चोरी
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेकाहारा परिसर से इस साल जनवरी 2025 से अब तक लगभग 30 वाहन चोरी हो चुके हैं। हर महीने औसतन तीन से चार दोपहिया वाहन चोरी हो रहे हैं, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं देखा गया। वाहन चोरी की बढ़ती घटनाओं से पीड़ितों में गुस्सा और आक्रोश है।
हाल ही में दो बड़ी चोरी की घटनाएं सामने आईं:
- इंटर्न की बाइक गायब: मौदहापारा थाना क्षेत्र में पीजी बॉयज हॉस्टल के बाहर बने पार्किंग स्थल से 15 नवंबर की रात एक इंटर्न की नारंगी व काले रंग की मोटरसाइकिल चोरी हो गई।
- महिला की एक्टिवा चोरी: 19 नवंबर को मेकाहारा अस्पताल परिसर के मेन गेट के पास पार्किंग के बाहर खड़ी एक महिला की सफेद रंग की एक्टिवा को अज्ञात चोर उड़ा ले गया। महिला अपनी बड़ी बहन का इलाज कराने अस्पताल आई थी।
70 कैमरे बंद, सुरक्षा निगरानी ध्वस्त
सुरक्षा निगरानी के लिए अस्पताल परिसर में कुल 168 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। लेकिन इनमें से करीब 70 कैमरे बंद हैं। कई कैमरे पुराने होने से खराब हैं और इन्हें तकनीकी रूप से अपडेट नहीं किया जा सका है। कैमरे बंद होने के कारण चोरों को पकड़ना मुश्किल हो रहा है।
इस गंभीर स्थिति पर मेकाहारा के अधीक्षक संतोष सोनकर ने बताया कि परिसर में कहीं भी वाहन खड़े कर दिए जाते हैं, जिसके बाद चोरी हो जाती है तो पीड़ित अस्पताल प्रबंधन को दोष देते हैं। उन्होंने कहा कि परिसर में पार्किंग सुविधा है। लोगों को अपने वाहन वहीं खड़े करने चाहिए, जिससे पार्किंग ठेकेदार की जवाबदेही तय की जा सके।
हालांकि, सुरक्षा पर लाखों खर्च करने के बावजूद आधे से अधिक कैमरों का बंद रहना और गार्डों की उपस्थिति केवल कागजों में होना अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े करता है।
