आठ साल की न्याय संग्राम के बाद मिली जीत: वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल बरी, जासूसी का दाग मिटा

रुड़की। बेटे की बेगुनाही को लेकर आठ साल तक न्याय की लड़ाई लड़ती रही पत्नी और परिवार की हिम्मत आखिरकार रंग लाई। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक दिसंबर 2025 को निशांत अग्रवाल को जासूसी के झूठे आरोपों से बरी कर दिया। रुड़की के नेहरू नगर निवासी निशांत अग्रवाल वर्ष 2013 में नागपुर स्थित ब्रह्मोस एयरस्पेस में वैज्ञानिक के पद पर चयनित हुए थे।

अक्टूबर 2018 में डीआरडीओ ने उन्हें दिल्ली में यंग वैज्ञानिक अवार्ड से सम्मानित किया। इसी समय उनकी शादी क्षितिजा से हुई थी। लेकिन ठीक आठ अक्टूबर 2018 को निशांत को जासूसी के गंभीर आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप था कि उन्होंने ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक पाकिस्तान के साथ साझा की है। महाराष्ट्र और यूपी एटीएस ने संयुक्त रूप से यह कार्रवाई की थी।

गिरफ्तारी के नौ माह बाद नागपुर सेशन कोर्ट में चारशीर्ट दाखिल की गई, और तीन जून 2024 को निशांत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इस दौरान उनकी पत्नी क्षितिजा और सास रितू अग्रवाल लगातार निशांत की बेगुनाही को साबित करने के लिए संघर्ष करती रहीं। हाईकोर्ट में अपील के बाद, अंततः न्याय मिला और उनके पक्ष में फैसला आया।

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क्षितिजा ने कहा कि यह समय उनके लिए बेहद कठिन था। गिरफ्तार होने के बाद पड़ोसियों का व्यवहार बदल गया, लेकिन परिवार और रिश्तेदारों का साथ बना रहा। अब यह बदनामी का दाग उनके परिवार से पूरी तरह मिट गया और इंसाफ की जीत ने परिवार को सांत्वना दी।

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