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हाई बीपी के 43 फीसदी मरीजों को पता ही नहीं है कि उनको ये बीमारी है, ये हैं शुरुआती लक्षण
बिना आहट के कोई खतरा आपके शरीर में दाखिल हो जाए तो? न कोई दर्द, न कोई तेज़ लक्षण. बस धीरे-धीरे आपकी सेहत को अंदर से खोखला करता जाए. कुछ ऐसा ही होता है हाई बीपी यानी हाई ब्लड प्रेशर के साथ. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक 43 फीसदी लोग जो हाई बीपी से पीड़ित हैं, उन्हें खुद नहीं पता कि उन्हें यह बीमारी है. यानी यह “साइलेंट किलर” चुपचाप शरीर में मौजूद रहता है और तब तक असर करता है जब तक कोई गंभीर दिक्कत न हो जाए.
हाई ब्लड प्रेशर तब होता है जब दिल से खून को शरीर में पहुंचाने के लिए जरूरत से ज्यादा दबाव लगता है. यह दबाव समय के साथ दिल, दिमाग, किडनी और आंखों तक को नुकसान पहुंचा सकता है. लेकिन परेशानी ये है कि ज़्यादातर मामलों में इसकी शुरुआत बिना किसी साफ लक्षण के होती है. यही वजह है कि लोग इसे पहचान ही नहीं पाते और बीपी धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता रहता है.
हाई बीपी के लक्षण
डॉ. बताते हैं कि कुछ लोगों को सिर में हल्का दर्द, चक्कर आना, थकान महसूस होना या छाती में दबाव सा लगना जैसे हल्के संकेत मिलते हैं. लेकिन ये लक्षण बहुत आम हैं और थकान या डिहाइड्रेशन जैसी छोटी समस्याओं में भी आते हैं, इसलिए लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. यही लापरवाही बीपी को और खतरनाक बना देती है. कुठ मामसों में स्थिति गंभीर भी हो सकती है जैसे नाक से खून आना, नजर का धुंधला हो जाना. इन लक्षणों तक काभी दे हो चुकी होती है.
हाई बीपी के के गंभीर परिणाम
हमारे शरीर में धमनियां होती है जो खून फ्लो करने का काम करती है. लेकिन जब ब्लड प्रेशर लगातार ज्यादा रहने लगता है तो धमनियां ज्यादा दबाव सहन नहीं कर पातीं और सिकुड़ने लगती हैं. इसी कराण से दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी फेल होना जैसी समस्या आती है. अगर इस समस्या के साथ शरीर का कोई अंग किसी बीमारी सा जूझ रहा है तो गंभीर स्थिति बन सकती है.
BP से बचाव के लिए क्या करें
किसी भी बीमारी का बचाव है सही खान-पान औक समय -समय पर जांच कराते रहना. इसके लिए जरूरी है नियमित ब्लड प्रेशर चेक कराना. अगर आपकी उम्र 30 साल से ज़्यादा है और आप तनावपूर्ण जीवनशैली, मोटापे, धूम्रपान या शराब की आदत से जुड़े हैं तो आपको और भी ज़्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.
हाई बीपी को कंट्रोल कैसे करें
- हाई बीपी को कंट्रोल में रखने के लिए कुछ साधारण लेकिन प्रभावी उपाय हैं- जैसे नमक कम खाना, फास्ट फूड और जंक फूड से दूरी, नियमित एक्सरसाइज, योग और ध्यान करें. और सबसे ज़रूरी रोज़ाना बीपी मॉनिटर करना.
- डॉक्टर की सलाह से दवा शुरू की जाए तो उसे बिना रुके लेते रहना भी ज़रूरी है. अक्सर लोग ये सोचते हैं कि “अब तो बीपी नॉर्मल आ रहा है, दवा बंद कर दें” लेकिन ये सबसे बड़ी भूल होती है. बीपी की दवा एक बार शुरू हो जाए तो उसे डॉक्टर की सलाह के बिना कभी न रोकें.
- याद रखें, हाई बीपी की सबसे बड़ी ताकत है उसका चुपचाप बढ़ना. और हमारी सबसे बड़ी ताकत है जागरूकता. इसलिए अगली बार जब आप खुद को सामान्य महसूस करें तब भी एक बार बीपी ज़रूर चेक कराएं. हो सकता है यही एक छोटी-सी आदत आपके दिल और दिमाग को गंभीर बीमारी से बचा ले.
