महाभियोग की जद में जस्टिस वर्मा: सरकार-विपक्ष के 215 सांसद एकजुट, जले कैश कांड में हटाने की प्रक्रिया शुरू, आजाद भारत में ऐसा पहली बार

महाभियोग की जद में जस्टिस वर्मा: सरकार-विपक्ष के 215 सांसद एकजुट, जले कैश कांड में हटाने की प्रक्रिया शुरू, आजाद भारत में ऐसा पहली बार

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ 215 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर किए हस्ताक्षर। 15 करोड़ के जले कैश कांड में हटाने की प्रक्रिया शुरू, आज़ाद भारत में पहली बार किसी कार्यरत हाईकोर्ट जज पर संसद में महाभियोग प्रस्ताव।

नई दिल्ली: दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में एक जज के घर जले हुए कैश के बोरों की बरामदगी के बाद उठा भूचाल अब संसद तक पहुंच गया है। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा में उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस पेश किए गए, जिन पर सरकार और विपक्ष के 215 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है, जब किसी कार्यरत हाईकोर्ट जज के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है।

14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगी थी। अग्निशमन दल ने आग बुझाई, लेकिन स्टोर रूम से भारी मात्रा में जले हुए ₹500 के नोटों के बंडल बरामद हुए। बाद की रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि करीब ₹15 करोड़ नकद बरामद हुए, जिनमें कई नोट जले हुए थे। घटना के समय वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में जज थे, बाद में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।

तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने 22 मार्च को तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच समिति बनाई। 4 मई को समिति ने रिपोर्ट दी, जिसमें जस्टिस वर्मा को गंभीर दोषी पाया गया। शील नागू (चीफ जस्टिस, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट), जीएस संधवालिया (चीफ जस्टिस, हिमाचल हाईकोर्ट) और जस्टिस अनु शिवरामन (कर्नाटक हाईकोर्ट) समिति में शामिल थे। 19 जून को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वर्मा और उनके परिवार का स्टोर रूम पर “सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल” था। 55 गवाहों से पूछताछ और आवास का निरीक्षण कर समिति ने रिपोर्ट में कहा- “आरोप इतने गंभीर हैं कि महाभियोग चलाना उचित है।”CASH

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21 जुलाई को महाभियोग प्रस्ताव पर भाजपा, कांग्रेस, JDU, TDP, CPM और अन्य दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए। इनमें राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, सुप्रिया सुले, पीपी चौधरी जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में जानकारी दी कि प्रस्ताव मिल चुका है। अब संसद के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत संयुक्त जांच समिति बनेगी। यह समिति तीन महीने में रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर जज को हटाने पर मतदान किया जाएगा।

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18 जुलाई को जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इन-हाउस जांच रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की। उनका तर्क है कि मेरे आवास के बाहर कैश मिला, इसका मतलब यह नहीं कि मैं दोषी हूं। जांच समिति ने यह नहीं बताया कि कैश किसका था और वहां कैसे पहुंचा ?

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