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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का सनसनीखेज बयान स्वास्थ्य और शिक्षा अब आम आदमी की पहुंच से बाहर
इंदौर। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को जीवन विकास योजना के लॉन्च कार्यक्रम में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं क्योंकि ये सेवाएं अब व्यावसायिक हो गई हैं। यह बयान ऐसे समय आया जब देश में इन क्षेत्रों की महंगाई और पहुंच पर बहस छिड़ी हुई है ताकि समाज के सक्षम लोग आगे आएं और मदद करें।
कार्यक्रम में भागवत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पहले स्वास्थ्य और शिक्षा को सेवा माना जाता था लेकिन अब ये दोनों आम लोगों की जेब और पहुंच से दूर हो गए हैं। वे न तो सुलभ हैं और न ही सस्ते। उन्होंने जोर दिया कि समाज के समर्थ लोगों को आगे आकर अच्छी स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए। यह बात उन्होंने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी से ऊपर धर्म के आधार पर कही। भागवत का कहना था कि शिक्षा और स्वास्थ्य हर व्यक्ति की सबसे जरूरी जरूरत हैं लेकिन दुर्भाग्य से ये अब साधारण लोगों की वित्तीय क्षमता से बाहर हैं
इस बयान के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई। कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार की पोल खोलने वाला बताते हुए सोशल मीडिया पर शेयर किया। पार्टी ने कहा कि 11 साल की सरकार में ये सुविधाएं क्यों महंगी हो गईं। वहीं शिवसेना यूबीटी ने भी भागवत के बयान का समर्थन करते हुए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि जनता को इन मुद्दों पर साथ आना चाहिए। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि भागवत ने सीधे सरकार पर हमला नहीं किया बल्कि समाज से अपील की है।
आंकड़ों की बात करें तो हालिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि देश में निजी स्वास्थ्य सेवाओं की लागत पिछले दशक में दोगुनी से ज्यादा हो गई है जबकि शिक्षा में भी फीस और खर्चों में भारी बढ़ोतरी हुई है। सरकारी योजनाएं जैसे आयुष्मान भारत चल रही हैं लेकिन कई लोग अभी भी इनकी पहुंच से बाहर हैं। भागवत का यह बयान अब बहस का केंद्र बन गया है कि क्या स्वास्थ्य और शिक्षा को सेवा की तरह वापस लाया जा सकता है।
