74 वर्षीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक छोड़ा पद, देश में पहली बार मानसून सत्र के बीच इस्तीफा

74 वर्षीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक छोड़ा पद, देश में पहली बार मानसून सत्र के बीच इस्तीफा

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से इस्तीफा दिया। मानसून सत्र के दौरान इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति बने। जानिए उनके उत्तराधिकारी को लेकर क्या कहता है संविधान।

नई दिल्ली: देश को आज एक चौंकाने वाली खबर मिली है। भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा है। 74 वर्षीय धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था, लेकिन उन्होंने कहा कि डॉक्टरी सलाह और स्वास्थ्य कारणों के चलते वे इस पद पर बने रहना संभव नहीं मानते।

धनखड़ ने अपना इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति को सौंपा। पत्र में उन्होंने लिखा – "स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह के मद्देनजर मैं तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।" उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के सहयोग के लिए आभार भी जताया। हालांकि, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही उनका इस्तीफा प्रभावी माना जाएगा।

11 अगस्त 2022 को जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्ग रेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को 528 वोट मिले थे जबकि अल्वा को सिर्फ 182 मिले थे। इस वक्त संसद का मानसून सत्र जारी है। धनखड़ राज्यसभा के सभापति भी थे। सत्र के बीच पद से इस्तीफा देने वाले पहले उपराष्ट्रपति बने हैं। वहीं, देश के इतिहास में तीसरे उपराष्ट्रपति हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दिया हो।

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अब सवाल है उनके उत्तराधिकारी का। इस दौड़ में बिहार से JDU सांसद हरिवंश का नाम भी चर्चा में है। वे फिलहाल राज्यसभा के उपसभापति हैं, हालांकि उनका कार्यकाल भी इसी महीने खत्म हो रहा है। संविधान के मुताबिक अगर उपराष्ट्रपति का पद खाली होता है, तो राज्यसभा के उपसभापति ही सभापति का काम देखते हैं, लेकिन वे उपराष्ट्रपति नहीं माने जाते। संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान नहीं है। अगर राष्ट्रपति देश से बाहर हों और उपराष्ट्रपति का पद भी खाली हो, तो CJI यानी देश के मुख्य न्यायाधीश को कार्यवाहक राष्ट्रपति का दायित्व सौंपा जाता है।

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