युक्तियुक्तकरण की गड़बड़ियों पर हाईकोर्ट सख्त, शिक्षकों को अभ्यावेदन देने का निर्देश

जिला स्तरीय समितियों को 16 व 17 जून तक अभ्यावेदन के निराकरण का आदेश, 300 से अधिक याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई

 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) को लेकर उठे विवाद अब न्यायिक स्तर पर गंभीर मोड़ ले चुके हैं। प्रदेशभर से 70 से अधिक शिक्षकों ने हाई कोर्ट में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं पर मंगलवार को जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की एकलपीठ में सुनवाई हुई।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति के समक्ष अभ्यावेदन देने की अनुमति दी है। बिलासपुर संभाग के शिक्षकों को 13 जून तक अभ्यावेदन देने और समिति को 16 जून तक इसका निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं रायपुर, दुर्ग, सरगुजा और बस्तर संभाग के शिक्षकों को भी 13 जून तक आवेदन देने कहा गया है, जिनका निराकरण 17 जून तक करना होगा।

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कोर्ट ने यह सुविधा उन शिक्षकों को भी दी है जिन्होंने काउंसलिंग के बाद नई जगह पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। सुनवाई के दौरान अनेक शिक्षकों ने बताया कि वरिष्ठ होने के बावजूद उन्हें जानबूझकर अतिशेष घोषित कर दिया गया और दूरस्थ स्कूलों में भेजा गया।

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एक मामले में शिक्षिका सरोज सिंह ने अधिवक्ता अनादि शर्मा के माध्यम से कोर्ट को बताया कि वह वर्ष 2018 से वर्तमान विद्यालय में अंग्रेजी और भूगोल दोनों विषय पढ़ा रही हैं। विद्यालय में भूगोल का अन्य कोई शिक्षक नहीं है, इसके बावजूद उन्हें 45 किमी दूर स्थानांतरित कर दिया गया जबकि हाल ही में बहाल एक अन्य शिक्षिका को उसी विद्यालय में पदस्थ किया गया है।

 

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