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छत्तीसगढ़ में सड़कों पर मौत का तांडव: 2024 में 6,752 जानें गईं, हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की सड़कों पर मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. न्याय मित्रों ने हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें खुलासा हुआ है कि साल 2024 में सड़क दुर्घटनाओं में 6,752 लोगों की जान चली गई. यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले लगभग 9.50% ज्यादा है. इस गंभीर मामले पर चल रही जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच से जस्टिस विभु दत्त गुरु ने एक्सेप्शन ले लिया, जिससे सुनवाई टल गई है. अब यह मामला नई बेंच के सामने सुना जाएगा.
खराब सड़कें, स्ट्रीट लाइट गायब और आवारा पशु: मौत के ब्लैक स्पॉट
हाईकोर्ट ने प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को संज्ञान में लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की थी. इसमें चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रवींद्र शर्मा और अपूर्व त्रिपाठी को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था. रवींद्र शर्मा ने 28 अप्रैल, 2025 को एक मेमो दाखिल कर विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित दुर्घटनाओं से जुड़ी खबरें और 2023-24 के सड़क दुर्घटनाओं के विस्तृत आंकड़े पेश किए.
रिपोर्ट के मुताबिक:
* 2023 में: 13,468 दुर्घटनाएं, 6,166 मौतें, 11,723 घायल हुए.
* 2024 में: 14,853 दुर्घटनाएं, 6,752 मौतें, 12,573 घायल हुए.
इन आंकड़ों से साफ है कि दुर्घटनाओं में 10.28%, मौतों में 9.50% और घायलों में 7.25% की बढ़ोतरी हुई है. न्याय मित्र ने रायपुर, दुर्ग, जांजगीर, सक्ती और मुंगेली जिलों में पहचाने गए "ब्लैक स्पॉट" (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) के ठीक न होने पर भी ध्यान आकर्षित किया.
परिवहन सचिव को देना होगा हलफनामा, हाईकोर्ट की सख्ती जारी
इस मामले में आज जब चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभुदत्त गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई शुरू हुई, तो जस्टिस गुरु ने खुद को इस केस से अलग कर लिया क्योंकि वे पूर्व में पक्षकारों में से एक के अधिवक्ता रह चुके हैं. इस वजह से सुनवाई रोक दी गई है और अब इसे दूसरी डिविजन बेंच में सुना जाएगा.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य के परिवहन विभाग के सचिव को कोर्ट कमिश्नर रवींद्र शर्मा द्वारा दायर दस्तावेजों के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया था. 2023-24 के सड़क दुर्घटना के आंकड़े बताते हैं कि स्ट्रीट लाइट की अनुपलब्धता, खराब सड़कों और सड़क किनारे आवारा पशुओं के कारण दुर्घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है, जिससे न केवल इंसानों बल्कि आवारा पशुओं की जान को भी खतरा है. देखना होगा कि हाईकोर्ट इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए क्या सख्त निर्देश जारी करता है.
