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छत्तीसगढ़ सरकार ने 10 हजार स्कूलों के युक्तियुक्तकरण का दिया आदेश, हजारों शिक्षको ने सरकार के खिलाफ मंत्रालय का किया घेराव और प्रदर्शन
शिक्षकों की पद कटौती और स्कूल मर्जर के खिलाफ हज़ारों शिक्षक सड़कों पर, सरकार ने कहा—यह कदम शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए जरूरी
रायपुर/ छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 10 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (रैशनलाइजेशन) करने का निर्णय लिया है, जिससे लगभग 43 हजार शिक्षकों के पद समाप्त हो सकते हैं। इस फैसले के विरोध में प्रदेश के 10 हजार से अधिक शिक्षक मंत्रालय के सामने धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगें रख रहे हैं।
तूता स्थित धरना स्थल पर शिक्षक नारेबाजी कर सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह फैसला शिक्षकों की गुणवत्ता और सरकारी स्कूलों की मजबूती के खिलाफ है। दो शिक्षक मिलकर 18 क्लासेज पढ़ाने का दबाव असंभव है, जिससे शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी।
युक्तियुक्तकरण या रैशनलाइजेशन का मतलब है विभिन्न स्कूलों या ऑफिसों को मर्ज कर देना ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कंपनी के दो ऑफिस एक शहर में हैं जिनके संसाधन और स्टाफ अलग-अलग हैं, तो कंपनी उन दोनों को एक कैंपस में मर्ज कर सकती है और स्टाफ को व्यवस्थित कर सकती है।
सरकारी स्कूलों में यह प्रक्रिया शिक्षकों की संख्या को कम करने, पदों का विलय करने और स्कूलों को मर्ज करने के लिए अपनाई जा रही है, ताकि भर्ती की संख्या घटे और सरकार का खर्च कम हो।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के अनुसार एक शिक्षक के लिए अधिकतम 30 छात्र होना चाहिए। छत्तीसगढ़ में वर्तमान में प्राइमरी स्कूलों में लगभग 22 छात्रों पर एक शिक्षक है जबकि प्री-मिडिल स्कूलों में यह संख्या 26 के आसपास है, जो NEP के मानकों के अनुसार बेहतर है।
लेकिन प्रदेश के 30,700 प्राइमरी स्कूलों में से 6,872 ऐसे स्कूल हैं जहां केवल एक शिक्षक है और 212 ऐसे हैं जहां कोई शिक्षक नहीं है। प्री-मिडिल स्कूलों में भी ऐसे स्कूल हैं जहां एक या कोई शिक्षक नहीं है। सरकार का तर्क है कि कुछ स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक है जबकि कुछ में कमी, इसलिए युक्तियुक्तकरण के माध्यम से शिक्षकों का पुनर्वितरण किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन और अन्य शिक्षक संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। संगठन का कहना है कि सरकार ने अपने ही बनाए गए ‘सेटअप 2008’ के प्रावधानों को दरकिनार कर 1+2 और 1+4 के बजाय इसे घटाकर 1+1 और 1+3 कर दिया है। इससे 43,849 पद समाप्त हो गए हैं और ये शिक्षक अब सरप्लस घोषित किए जा रहे हैं।
टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि 1 से 5वीं कक्षा तक 18 पीरियड पढ़ाने के लिए दो शिक्षक होना आवश्यक है। लेकिन नए फॉर्मूले के तहत एक शिक्षक को 9 पीरियड पढ़ाने होंगे, जो संभव नहीं है।

सरकार का कहना है कि युक्तियुक्तकरण से संसाधनों का बेहतर प्रबंधन होगा और भर्ती की संख्या नियंत्रण में आएगी। हालांकि शिक्षक और उनके संगठन इसे शिक्षा प्रणाली के लिए खतरनाक मानते हैं और मांग कर रहे हैं कि इस फैसले को पुनः विचार किया जाए।
