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अब शव के साथ सड़क पर प्रदर्शन करने वालों की खैर नहीं, 5 साल तक की कैद का प्रावधान, जाने किस राज्य में लागू हुआ कानून
नई दिल्ली। देश में हाल के वर्षों में हत्या या सड़क दुर्घटना के बाद मृतक के शव के साथ विरोध प्रदर्शन आम होते जा रहे हैं। चाहे सड़क हादसे में मौत हो या जांच में लापरवाही, लोग शव को सड़क पर रखकर हजारों की संख्या में जमा हो जाते हैं और अपनी मांगें पूरी होने तक अंतिम संस्कार तक रोक देते हैं।
अब इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने देश में पहला कदम उठाया है और ‘मृत शरीर सम्मान अधिनियम, 2023’ लागू किया है। इस कानून के तहत राजनीतिक या किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन में शव के उपयोग पर कड़ी पाबंदी लगेगी। ऐसे उल्लंघन करने वालों के लिए 6 महीने से 5 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
कानून लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य
भाजपा सरकार की अधिसूचना में सख्त सजाओं का जिक्र है। गैर-परिवार सदस्यों द्वारा शव का इस्तेमाल प्रदर्शन या विरोध के लिए करने पर 6 महीने से 5 साल तक जेल के साथ जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं, अगर मृतक का परिवार इसमें शामिल होता है या अनुमति देता है, तो उन्हें अधिकतम 2 साल की सजा भुगतनी पड़ेगी।
शव लेने से इनकार पर भी कड़ी कार्रवाई
अधिसूचना के अनुसार, अगर परिवार मजिस्ट्रेट के 24 घंटे के नोटिस के बाद भी शव लेने से इनकार करता है, तो उन्हें 1 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे मामलों में पुलिस शव को अपने कब्जे में लेकर वीडियोग्राफी के साथ पोस्टमार्टम कराएगी और स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से अंतिम संस्कार सुनिश्चित करेगी।
अस्पताल और पुलिस के लिए दिशानिर्देश
नए कानून में पुलिस थानों को शव जब्त करने, मजिस्ट्रेट और जिला एसपी को सूचित करने और अधिकृत अस्पतालों में जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल बकाया बिलों के कारण शव को रोक नहीं पाएंगे। वहीं, लावारिस शवों का निपटारा राजस्थान एनाटॉमी एक्ट, 1986 के तहत किया जाएगा। इसमें जेनेटिक डेटाबैंक और अज्ञात मौतों की डिजिटल ट्रैकिंग भी शामिल है।
