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गौरेला ,पेन्ड्रा, मरवाही ,वन विभाग मे भालू ही भालू पर चारो ओर भ्रस्टाचार का साया, मरवाही, खोडरी, और गौरेला रेंज चल रहा है एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह, सभी रेंजरो की मनमानी आसमान में,जरुरत है मुख्यमंत्री मंत्री और वन मंत्री को संज्ञान में ले कर क
गौरेला ,पेन्ड्रा, मरवाही ,वन विभाग मे भालू ही भालू पर चारो ओर भ्रस्टाचार का साया, मरवाही, खोडरी, और गौरेला रेंज चल रहा है एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह, सभी रेंजरो की मनमानी आसमान में,जरुरत है मुख्यमंत्री मंत्री और वन मंत्री को संज्ञान में ले कर कार्यवाही का आदेश देने का जीपीएम वन विभाग मे […]

गौरेला ,पेन्ड्रा, मरवाही ,वन विभाग मे भालू ही भालू पर चारो ओर भ्रस्टाचार का साया, मरवाही, खोडरी, और गौरेला रेंज चल रहा है एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह, सभी रेंजरो की मनमानी आसमान में,जरुरत है मुख्यमंत्री मंत्री और वन मंत्री को संज्ञान में ले कर कार्यवाही का आदेश देने का
जीपीएम वन विभाग मे भालू ही भालू
चारो ओर भ्रस्टाचार का साया.
मरवाही, खोडरी, और गौरेला रेंज एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह.
सभी रेंजरो की मनमानी.
जरुरत है वन मंत्री को जांच मे लेने की.
आपको बता दे की मरवाही वन मण्डल इस समय तरह तरह की भरस्टाचार मे फसा पड़ा है। वही मरवाही, गौरैला, खोडरी रेंजर की मनमानी खुले आम सर पर चढ़ कर बोल रहा है. ये तीनो रेंजर शासन की वन विभाग को अपने घर का राज समझते हुए इनके लिए न शासन के कोई नियम है न ही कोई बिधि विधान है न ही इन्हें किसी का कोई डर भय है स्वच्छंद विचरण कर रहे है ।

मामला यह है की आर टी आई कार्यकर्ता कृष्णा पाण्डेय द्वारा मरवाही रेंज, खोडरी रेंज, और गौरेला रेंज मे एक प्रकार की ही RTI लगाया गया था जिसमे बिगड़े वनो की सुरक्षा हेतु शासन से कितना रकम आया और कितना खर्च हुवा की बिल वाउचर मांगी गई थी.
जिसके जवाब मे गौरेला रेंजर नें लिख कर भेजा कि इसकी कागजात DFO कार्यालय मे जमा कर दिया गया है ।
2.वही रेंजर बंजारे खोडरी के चार्ज मे भी है वहां से लिख कर भेजा गया कितना रकम आया पर खर्च का विवरण नहीं दिया गया है
3.अब मरवाही रेंजर नें तो हद ही कर दिया उसने पुरे हिस्ट्री नियम कानून का हवाला देते हुए इसकी जानकारी नहीं देने कि बात लिखा दिया है।
हास्यास्पद ये है कि क्या छ ग फारेस्ट के रेंज के मालिकाना हक़ सिर्फ रेंजर ही होते है. पूरा शासकीय रकम खा कर डकार जाते है वन विभाग को खोखला कर देते है वन मंत्री को देखने कि जरुरत है.
अगर एक ही विषय पर तीन रेंज मे RTI लगाया तो तीनो का जवाब अलग अलग क्यों? क्या इच्छा अनुरूप जवाब देंगे या शासन के नियमानुसार। और जवाब देने से बचने की घोर प्रयास क्या दर्शाता है यही की हमने पूरा पैसा खा दिया है अब बताने को बचा ही नहीं।
इनके दिए पत्र पर अपिलीय अधिकारी से अपील की जा रही है तथा वन मंत्री तक इसकी शिकायत किया जा रहा है वन मंत्री और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी को इसे तत्काल संज्ञान में लेकर कार्यवाही का आदेश देने की जरूरत है।
