आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत पर सस्पेंस: क्या ACB-EOW नेताओं के दबाव में झुकेंगे?

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में अब आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों की अग्रिम जमानत को लेकर नया सियासी बवाल शुरू हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी की कार्रवाई की जद में आए इन अधिकारियों ने अपनी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई से पहले बड़े नेताओं और रसूखदार अधिकारियों से एसीबी और ईओडब्ल्यू पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ये अधिकारी चाहते हैं कि 18 अगस्त को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई के दौरान ये दोनों जांच एजेंसियां उनकी जमानत का विरोध न करें।

 

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अधिकारी कर रहे रसूख का इस्तेमाल

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इस मामले में 22 से ज्यादा आबकारी अधिकारियों पर शराब घोटाले में शामिल होने का आरोप है। ईडी ने इनमें से कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया है, जबकि कई अभी भी जांच के दायरे में हैं। इन अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसके लिए वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, ये अधिकारी प्रभावशाली नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों के पास लगातार चक्कर लगा रहे हैं ताकि एसीबी और ईओडब्ल्यू उनके पक्ष में नरम रुख अपनाए। उनका मकसद है कि केंद्रीय एजेंसियां हाईकोर्ट में उनके खिलाफ मजबूत दलीलें पेश न करें।

एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल

इस मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। पहले इन्हीं एजेंसियों ने कोर्ट में कहा था कि इन अधिकारियों को गिरफ्तार करना जरूरी नहीं है और चार्जशीट पेश करने से पहले उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया गया था। लेकिन अब जब ये अधिकारी खुद को बचाने के लिए अग्रिम जमानत मांग रहे हैं, तो इन एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या एसीबी और ईओडब्ल्यू किसी दबाव में आती हैं या फिर कानून के हिसाब से कार्रवाई करते हुए हाईकोर्ट में इन अधिकारियों की जमानत का पुरजोर विरोध करती हैं। इस घटनाक्रम से एक बार फिर जांच एजेंसियों की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस पूरे मामले पर राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक की नजरें टिकी हुई हैं। 18 अगस्त को हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में आगे की दिशा तय करेगा।

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