IAS अधिकारी संतोष वर्मा के आपत्तिजनक बयान' पर हंगामा: सांसद ने केंद्र को लिखी चिट्ठी, पदोन्नति की CBI जांच की मांग 

 रीवा। मध्य प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी श्री संतोष वर्मा अपने एक सार्वजनिक बयान के चलते गंभीर विवादों में घिर गए हैं। रीवा से सांसद जनार्दन मिश्र ने भारत सरकार के राज्य मंत्री (कार्मिक लोक शिकायत एवं पेंशन) जितेंद्र सिंह को पत्र लिखकर इस अधिकारी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। सांसद ने आरोप लगाया है कि श्री वर्मा ने सार्वजनिक मंच पर अत्यंत अशोभनीय, अपमानजनक और जातिगत विद्वेष पैदा करने वाली टिप्पणी की है।

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क्या है विवादित बयान?

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सांसद जनार्दन मिश्र ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि "अजाक्स" (अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ) के प्रांतीय अध्यक्ष श्री संतोष वर्मा ने सार्वजनिक मंच पर बयान दिया था: "जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को दान न दे दे या उससे संबंध न बनाए तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।" सांसद ने इस टिप्पणी को लैंगिक रूप से संवेदनशील, जातिगत विद्वेष पैदा करने वाला और प्रधानमंत्री के महिला सशक्तीकरण अभियान के प्रति नकारात्मक मानसिकता उजागर करने वाला बताया है।

 

IAS पदोन्नति पर भी उठाए गंभीर प्रश्न 

सांसद ने श्री संतोष वर्मा की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में हुई पदोन्नति पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं और जांच की मांग की है। पत्र में तीन मुख्य गंभीर आरोप लगाए गए हैं:

  गलत वर्ग का इस्तेमाल: श्री वर्मा मूल रूप से अनुसूचित जाति वर्ग के अधिकारी थे, लेकिन उन्होंने IAS सेवा में चयन के लिए खुद को अनुसूचित जनजाति वर्ग का अधिकारी बताया, जिससे उनका चयन हो सका।

  आपराधिक इतिहास: श्री वर्मा के खिलाफ पहले एक महिला के साथ मारपीट और अश्लील शब्दों के प्रयोग का मामला न्यायालय में लंबित था।

  न्यायालय को गुमराह करना: सांसद ने आरोप लगाया कि श्री वर्मा ने न्यायालय में फर्जी राजीनामा पेश किया था। इस मामले में संज्ञान लिए जाने पर उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज हुआ और 2021 में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था। यह आपराधिक मामला अभी भी विचाराधीन है।

 

सांसद ने की ये तीन बड़ी मांग

सांसद जनार्दन मिश्र ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया है कि: 

  • सख्त कार्रवाई: अशोभनीय टिप्पणी के लिए अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 के तहत कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
  •   पदोन्नति की जांच: अनुसूचित जाति के बजाय अनुसूचित जनजाति वर्ग के माध्यम से हुई उनकी पदोन्नति की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
  •  पदावनत किया जाए: गंभीर आपराधिक रिकॉर्ड और न्यायालय को गुमराह करने के बावजूद IAS में हुई उनकी पदोन्नति की दोबारा जांच कराकर उन्हें तुरंत पदावनत (Demote) किया जाए।

सांसद के इस पत्र के सामने आने के बाद प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।

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