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छत्तीसगढ़: राज्य की जांच एजेंसियों पर उठने लगे सवाल, क्या एसीबी और ईओडब्ल्यू सिर्फ कागजी शेर हैं?
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य उर्फ बिट्टू बघेल की गिरफ्तारी ने राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है। बिट्टू पर 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़ी 16.7 करोड़ रुपये की राशि अपनी कंपनियों में ट्रांसफर करने का आरोप है। इस गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर राज्य की अपनी जांच एजेंसियां एसीबी और ईओडब्ल्यू की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि जब ईडी के पास पुख्ता सबूत थे तो राज्य की एजेंसियां अब तक चुप क्यों बैठी थीं?
एसीबी और ईओडब्ल्यू की निष्क्रियता पर सवाल
ईडी ने साफ किया है कि बिट्टू बघेल की कंपनियों में ट्रांसफर की गई 16.7 करोड़ रुपये की राशि सीधे भ्रष्टाचार के पैसों से आई थी। यह लेनदेन एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा था, जिसके जरिए करीब 1000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया। हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी की जानकारी होने के बावजूद, एसीबी और ईओडब्ल्यू ने बिट्टू बघेल को न तो पूछताछ के लिए बुलाया, न समन भेजा और न ही कोई गिरफ्तारी की। यहां तक कि इस संबंध में कोई विभागीय चर्चा तक नहीं की गई। ऐसा लग रहा है कि अब ये एजेंसियां कानून के बजाय सत्ता के इशारों पर काम कर रही हैं।
22 आबकारी अफसरों का मामला, क्या फिर से दोहराया जा रहा है ड्रामा?
यह कोई पहली बार नहीं है जब राज्य की जांच एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल उठे हैं। 22 आबकारी अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के बाद भी एसीबी ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया था। तब कोर्ट ने एसीबी को फटकार लगाते हुए पूछा था कि क्या भ्रष्टाचारियों के लिए अब गिरफ्तारी से पहले जमानत का कोई खास इंतजाम है? सूत्रों के मुताबिक, उस मामले को भी करोड़ों का चढ़ावा देकर शांत कर दिया गया था और कार्यालयों में मिठाइयां बांटी गई थीं। आज एक बार फिर वही चुप्पी और कागजी कार्रवाई का फॉर्मूला अपनाया जा रहा है।
क्या भूपेश बघेल तक पहुंचने से डर रही हैं एजेंसियां?
एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या ये एजेंसियां पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंचने से डर रही हैं? या फिर अपने लोगों को बचाने की कोई अंदरूनी सांठगांठ चल रही है? सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिस अधिकारी के मुखिया रहते हुए बलौदा बाजार मामले में भूपेश बघेल ने सवाल उठाया था कि आईजी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई, आज वही अधिकारी एसीबी और ईओडब्ल्यू के प्रमुख हैं और अब भी कार्रवाई नहीं हो रही।
जीरो टॉलरेंस सिर्फ भाषणों में!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 और 2024 में अपने भाषणों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कही थी। लेकिन बिट्टू बघेल की गिरफ्तारी और एसीबी की चुप्पी के बीच ये नीतियां हवा में झूलती नजर आ रही हैं। जनता का सीधा सवाल है कि अगर एसीबी और ईओडब्ल्यू को सब पता था, तो फिर ईडी को ही क्यों आगे आना पड़ा? क्या छत्तीसगढ़ में जांच एजेंसियां अब राजनीतिक दबाव में काम कर रही हैं?
जनता पूछ रही है कि गिरफ्तारी ईडी करेगी, जमानत एसीबी दिलाएगी और कार्रवाई कब होगी? इस व्यंग्य में बहुत गहरा दर्द छिपा है, क्योंकि अब ऐसा लग रहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई दिल्ली से लड़ी जा रही है, जबकि रायपुर की एजेंसियां सिर्फ रजामंदी दे रही हैं।
