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पोटाकेबिन योजना में बड़ा भ्रष्टाचार: बिना बिल के फर्मों को 42 लाख का फर्जी भुगतान, दो अधिकारी पर FIR के निर्देश
पोटाकेबिन योजना में बड़ा भ्रष्टाचार: बिना बिल के फर्मों को 42 लाख का फर्जी भुगतान, दो अधिकारी पर FIR के निर्देश
बीजापुर जिले में पोटाकेबिन योजना के तहत 42.78 लाख रुपये का घोटाला सामने आया है। बिना बिल के फर्मों को भुगतान, दो अधिकारियों पर FIR के निर्देश। जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टि।
बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के शैक्षणिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए बनाए गए पोटाकेबिन आश्रमों में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। बीजापुर कलेक्टर ने 42 लाख 78 हजार 475 रुपये के फर्जी भुगतान मामले में सख्त रुख अपनाते हुए दो शासकीय कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। यह मामला समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित माध्यमिक पोटाकेबिन छात्रावासों से जुड़ा है। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि फर्मों को बिना वैध बिल और प्रमाणित दस्तावेजों के भुगतान किया गया। इस गड़बड़ी की पुष्टि बीजापुर जिले के चार अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में हुई है।
जांच में इन दो अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. इसमें पुरुषोत्तम चन्द्राकर, सहायक जिला परियोजना अधिकारी, समग्र शिक्षा (माध्यमिक), बीजापुर और संजीव मोरला, सहायक ग्रेड-02, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, बीजापुर।
इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अधीक्षकों पर दबाव बनाकर बिना बिल के सामग्री भुगतान करवाया और उच्च अधिकारियों से स्वीकृति भी नहीं ली. बीजापुर, भोपालपटनम, भैरमगढ़ और उसूर के अनुविभागीय अधिकारियों ने कुल 26 उन्नयित पोटाकेबिनों की जांच की, जिनमें से बीजापुर और भोपालपटनम अनुभाग के 11 पोटाकेबिनों में फर्जी भुगतान के प्रमाण मिले.
तीन फर्मों को 42 लाख से अधिक का भुगतान
बीजापुर जिले में समग्र शिक्षा अभियान के तहत पोटाकेबिनों के निर्माण और सामग्री आपूर्ति में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं. जांच के दौरान सामने आया कि बीजापुर और भोपालपटनम ब्लॉक में बिना वैध बिल और दस्तावेजों के कुल 42,78,475 रुपए का भुगतान किया गया. बीजापुर ब्लॉक में कृत्विक इंटरप्राइजेस, एसबी कंस्ट्रक्शन और विमला इंटरप्राइजेस को 26,60,715 रुपए का भुगतान किया गया, जबकि भोपालपटनम ब्लॉक में इन्हीं तीन फर्मों को 16,17,760 रुपए का भुगतान किया गया.वहीं, भैरमगढ़ और उसूर अनुभाग की जांच के दौरान सभी बिल संलग्न पाए गए और भुगतान प्रक्रिया संतोषजनक पाई गई.
जांच रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि संबंधित अधीक्षकों ने दिए गए बयानों में इस फर्जी भुगतान की पुष्टि की है. पुरुषोत्तम चन्द्राकर, सहायक जिला परियोजना अधिकारी (माध्यमिक), ने जिला शिक्षा अधिकारी से किसी प्रकार की स्वीकृति लिए बिना ही अधीक्षकों से नोटशीट पर हस्ताक्षर करवा कर भुगतान प्रक्रिया को अंजाम दिया. वहीं, सहायक ग्रेड-02 संजीव मोरला ने खुद अपने बयान में फर्मों को भुगतान की बात स्वीकार की है. प्रशासन अब मामले की विस्तृत जांच के बाद आगे की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
बीजापुर के डीईओ लखन लाल धनेलिया ने बताया कि एसडीएम के निरीक्षण के दौरान पोटाकेबिनों में कमी पाई गई थी. मामले में जांच की गई तो भोपालपटनम और बीजापुर पोटाकैबिन में समग्र शिक्षा के माध्यम से बिना बिल के भुगतान किया जाना सामने आया, कलेक्टर ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.
