सुशासन सरकार में ये क्या,2200 करोड़ के शराब घोटाले के आरोपी अफसरों को प्रमोशन की तैयारी DPC के लिए भेजा 

रायपुर. छत्तीसगढ़ में 'सुशासन' का दावा करने वाली विष्णु देव साय सरकार एक बड़े विरोधाभास में फंसी नजर आ रही है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए 2200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में फंसे करीब एक दर्जन आबकारी अधिकारियों को प्रमोशन देने की तैयारी चल रही है. इन अफसरों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और एसीबी ने मामले दर्ज किए हैं, और सरकार के विधि विभाग ने अभियोजन चलाने की अनुमति भी दे दी है. चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री खुद इस विभाग के मुखिया हैं, इसके बावजूद अभियोजन चलाने का आदेश आज तक ईओडब्ल्यू को नहीं भेजा गया है. उल्टा, अब इन आरोपी अधिकारियों को पदोन्नति देने की कवायद शुरू हो गई है, जिससे 'सुशासन' के नारों पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में पूर्व कांग्रेस सरकार के दौरान हुए 2200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में लिप्त पाए गए करीब एक दर्जन आबकारी अफसरों को पदोन्नति देने की कवायद शुरु हो गई है। आबकारी विभाग ने सहायक आयुक्त से उपायुक्त और जिला आबकारी अधिकारी से सहायक आयुक्त के पदों पर प्रमोशन के लिए प्रस्ताव तैयार कर राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) को भेज दिया है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही इस पर पीएससी में विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होने वाली है।

सूत्रो के मुताबिक इन अफसरों ने अपनी तगड़ी व्यवस्था सीएम सचिवालय में की हुई हैं.ईडी और आयकर विभाग की जांच में 55 से अधिक अधिकारियों को दोषी पाया गया। इसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भी जांच की और दोष सिद्ध किया। एसीबी ने दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा, जिसे विधि विभाग ने हाल ही में मंजूरी दी। लेकिन दूसरी ओर, आबकारी विभाग ने इन अफसरों के प्रमोशन का प्रस्ताव तैयार कर मंत्रालय भेजा हैं।चर्चा है कि इसमें स्वीकृति मिल गई।जानकारो का कहना है कि पीएससी अपराध के किसी भी मामले पर प्रमोशन नहीं देता हैं.उसके बावजूद अगर इन अफसरों को प्रमोशन दिया जाता है तो भगवान ही जाने यह सरकार किसके इशारे पर संचालित हो रही है।ऐसा लगता है कि सरकार में मनमानी चरम पर हैं।

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इस पूरे घटनाक्रम से सरकार का 'दोहरा चरित्र' सामने आ गया है. एक तरफ जांच एजेंसियां इस खेल में शामिल कुछ लोगों को गिरफ्तार कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर आबकारी के आरोपी अफसरों पर यह 'विशेष कृपा' समझ से परे है. जल्द ही पीएससी में विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होने वाली है. सवाल उठ रहा है कि इन आरोपी अफसरों को प्रमोशन देने के पीछे किस नौकरशाह का खेल है? क्या यह सूबे के मुखिया को बदनाम करने की कोई साजिश तो नहीं? 'सुशासन' के नारों को केवल कागजों तक सीमित रखने का यह प्रयास जनता के बीच गलत संदेश दे रहा है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं, ने चुनाव में 'भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की गारंटी' की घोषणा की थी, जो अब महज एक 'चुनावी जुमला' प्रतीत हो रही है.

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