बिलासपुर: अरपा पुल पर दोहरा खतरा! रेत माफिया के गड्ढे, और 12 करोड़ के फेल प्रोजेक्ट पर इनाम 

बिलासपुर। बिलासपुर की जीवनरेखा अरपा नदी की धार अब दोहरे संकट में घिर गई है। एक तरफ तुर्काडीह पुल के नीचे रेत माफिया ने गहरी खुदाई कर पायों को कमजोर कर दिया है, वहीं, दूसरी ओर 12 करोड़ की 'कोनी-सेंदरी बाढ़ नियंत्रण योजना' की दीवार पहली ही बरसात में ढहने का आरोप लगा है, जिससे बिलासपुर वासियों को दो साल तक तुर्काडीह पुल से वंचित रहना पड़ा था। इन दोनों मामलों में तत्कालीन और वर्तमान में एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे अधीक्षण अभियंता आलोक अग्रवाल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं, और जल संसाधन विभाग सवालों के घेरे में है। 

रेत माफिया का आतंक, पुल के पिलर कर दिए खोखले

अरपा नदी में तुर्काडीह पुल के आसपास रेत माफिया ने सारी हदें पार कर दी हैं। आठ सौ मीटर चौड़ी नदी में भी उनकी लालच इतनी बढ़ी कि उन्होंने पुल के पायों (पिलरों) तक को खोद डाला। अधिकतर पिलरों के आसपास अब गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिससे पुल के ढांचे को सीधा नुकसान पहुंच रहा है। मॉनसून सिर पर है और ऐसे में नदी में तेज बहाव होने पर इन कमजोर पिलरों को और अधिक क्षति पहुंच सकती है। पुराने पिलरों से तो कंक्रीट भी झड़ रही है और लोहे के रॉड तक दिखने लगे हैं, जो सीधे तौर पर पुल के भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा है।

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12 करोड़ की योजना का बंटाधार, मगर आरोपी अफसर को इनाम में बड़ा पद 

कोनी-सेंदरी बाढ़ नियंत्रण योजना' के तहत अरपा नदी के किनारे बनाई गई 12 करोड़ की दीवार पहली ही बरसात में ढह गई थी। इस घटना के कारण बिलासपुर वासियों को लगभग दो साल तक तुर्काडीह पुल के उपयोग से वंचित रहना पड़ा था। इस योजना के पीछे तत्कालीन (प्रभारी) कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल का नाम सामने आ रहा है, जो वर्तमान में प्रमुख अभियंता, जल संसाधन विभाग, रायपुर में अधीक्षण अभियंता (प्रभारी) बोधि प्रकोष्ठ कार्यालय के पद पर पदस्थ हैं।

                  सवाल यह उठता है कि जिस अधिकारी के नेतृत्व में 8 करोड़ की योजना पहली ही बारिश में फेल हो गई और जिससे जनता को भारी परेशानी झेलनी पड़ी, उसे पूरे प्रदेश के तकनीकी कार्यों की स्वीकृति देने जैसे इतने बड़े और संवेदनशील पद पर क्यों बिठाया गया है? आरोप है कि कोनी के पास नदी के अंदर लगभग 40 मीटर (120 फीट) तक घुसकर दीवार बनाकर नदी का अतिक्रमण किया गया था। नदी के दूसरे छोर पर चट्टान होने के कारण बाढ़ के दौरान पानी का बहाव तेज हो गया और रेत बह गई, जिससे दीवार ढह गई।

ये दोनों मामले एक साथ सामने आने से जल संसाधन विभाग की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन को इस ओर तुरंत ध्यान देने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है, ताकि बिलासपुर की जनता को भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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