पीजी एडमिशन विवाद: 75% सीटें बाहरी छात्रों को देने पर हंगामा, मेरिट लिस्ट आनन फानन में रद्द

रायपुर। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट (एमडी/एमएस) एडमिशन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बुधवार को पहले मेरिट सूची जारी की, लेकिन छात्रों के भारी विरोध और हाईकोर्ट में सुनवाई के चलते कुछ ही देर में इसे अपरिहार्य कारण बताकर रद्द कर दिया। छात्र 75 फीसदी सीटें दूसरे राज्यों के लिए ओपन कैटेगरी में रखने का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

हाईकोर्ट के आदेश को समझने में अफसरों ने की गलती!

पीजी सीटों पर विवाद की मुख्य वजह प्रवेश नियम है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों जगह याचिकाएं दायर की गई हैं। इस विवाद पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई भी हुई।

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सूत्रों के अनुसार, यह मामला तब शुरू हुआ जब हाईकोर्ट ने 100 फीसदी इंस्टीट्यूशनल डोमिसाइल (संस्थागत निवास) कोटा हटाने को कहा था। इसका मतलब यह था कि राज्य के उन छात्रों को भी एडमिशन का मौका मिलना चाहिए जिन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई दूसरे राज्यों से की है।

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लेकिन, अधिकारियों ने इस आदेश को समझने में गलती कर दी। बताया जा रहा है कि अफसरों ने 25 फीसदी सीटें ओपन कैटेगरी में रख दीं। इससे 50 फीसदी ऑल इंडिया कोटे और 25 फीसदी ओपन कैटेगरी को मिलाकर कुल 75 फीसदी सीटें प्रदेश के बाहर के छात्रों के लिए चली गईं। इसके बाद प्रदेश के स्थानीय छात्रों के लिए केवल 25 फीसदी सीटें ही बचीं। इस गड़बड़ी पर छात्र संगठन कोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को करेगा।

विवाद के बीच जारी हुई मेरिट सूची, फिर फौरन रद्द

विवाद और कोर्ट की कार्यवाही के बावजूद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बीती देर रात आनन फानन में 875 छात्रों की मेरिट सूची जारी कर दी थी। सूची जारी होने के बाद सवाल उठने लगे क्योंकि टॉप 20 में दो ऐसे छात्र भी आए हैं जो राज्य के निवासी हैं लेकिन उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई दूसरे राज्यों से की है। टॉपर ने 634 अंक हासिल किए हैं। विवाद को देखते हुए विभाग ने आवंटन सूची जारी नहीं करने का फैसला किया है।

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आज स्वास्थ्य सचिव से मिलेंगे नाराज छात्र

प्रदेश के छात्रों का संगठन इस मामले को लेकर गंभीर है। छात्र संगठन गुरुवार को सुबह साढ़े 10 बजे स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया से मिलेगा। छात्र उन्हें बताएंगे कि 75 फीसदी सीटें ओपन कैटेगरी में रखने से प्रदेश के छात्रों को किस तरह भारी नुकसान हो रहा है। वे सचिव को यह भी बताएंगे कि हाईकोर्ट के फैसले का गलत मतलब निकालकर गलत प्रवेश नियम बनाया गया है, जिससे स्थानीय छात्रों को पीजी में एडमिशन लेने में परेशानी होगी। यह मामला विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी उठने की संभावना है।

 

 

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