#Dछत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग घोटाला: IAS अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर गिरफ्तार, 14 जुलाई तक रहेंगे रिमांड पर,140 करोड़ की वसूली का आरोप

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। इस मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर को गिरफ्तार कर लिया है। कोर्ट ने दोनों को 14 जुलाई तक EOW की रिमांड पर भेजा है, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। बता दें कि ये दोनों पहले से ही दूसरे मामलों में जेल में बंद थे। कस्टम मिलिंग घोटाले में इनकी संलिप्तता सामने आने के बाद बुधवार को उन्हें प्रोडक्शन वारंट पर विशेष न्यायालय में पेश कर गिरफ्तार किया गया।

क्या है कस्टम मिलिंग घोटाला?

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कस्टम मिलिंग स्कैम में मार्कफेड के पूर्व एमडी मनोज सोनी समेत पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि इस घोटाले में 140 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई है। इसमें सरकारी अफसरों से लेकर राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तक शामिल बताए जा रहे हैं।

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दरअसल, छत्तीसगढ़ में अलग अलग राइस मिलर्स द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में कस्टम मिलिंग का चावल जमा किया जाता है। आरोप है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया और प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध राशि वसूली गई। जांच में खुलासा हुआ है कि एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर लेवी वसूलते थे और इसकी जानकारी अफसरों को देते थे। जिन मिलर्स से पैसे नहीं मिलते थे, उनका भुगतान रोक दिया जाता था।

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ईडी ने की थी छापेमारी, मिले थे संदिग्ध दस्तावेज

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब 20 अक्टूबर 2023 को ईडी की टीम ने बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी। ईडी ने अपने आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट पर जानकारी दी थी कि 20 21 अक्टूबर को मार्कफेड के पूर्व एमडी, छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स संगठन के कोषाध्यक्ष और कुछ सदस्यों, राइस मिलर्स और कस्टम मिलिंग से जुड़े लोगों के घरों पर जांच की गई। इस जांच में कई संदिग्ध दस्तावेज, डिजिटल डिवाइस और 1 करोड़ 6 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। ईडी ने इनकम टैक्स की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी और बाद में स्थानीय टीम के प्रतिवेदन पर एफआईआर दर्ज की गई।

फोर्टिफाइड राइस के भुगतान में भी वसूली का आरोप

राइस मिलर्स ने फोर्टिफाइड राइस के भुगतान में भी पैसे मांगने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार केंद्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए गरीबों को दिए जाने वाले अनाज की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए फोर्टिफाइड राइस की मात्रा बढ़ाने का आदेश दिया था। सरकार के आदेश के मुताबिक एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम में जमा होने वाले चावल में फोर्टिफाइड राइस होना अनिवार्य था। 99 किलो सामान्य चावल का पैमाना तय किया गया था। आरोप है कि इसमें भी कमीशनखोरी और घूसखोरी का खेल चला। इस मामले में आगे की जांच जारी है और कई बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।

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