महावीर कोल वाशरी के रसूख के आगे झुके कलेक्टर-तहसीलदार! हाई कोर्ट का आदेश 4 साल से ठंडे बस्ते में

जांजगीर, छत्तीसगढ़। सरकारी ज़मीन से अवैध कब्ज़ा हटाने के कोर्ट के आदेश को 4 साल से ज़्यादा समय तक लटकाने के कारण कलेक्टर और तहसीलदार अब मुश्किल में घिर सकते है। याचिकाकर्ता ईश्वर प्रसाद देवांगन ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि महावीर कोल वाशरी के रसूख और पैसे के दम पर अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, जिससे आज तक अवैध कब्ज़े वाली ज़मीन खाली नहीं हो पाई है।

2021 से लंबित है मामला

मामला जांजगीर-चांपा ज़िले के भिलाई गांव का है। यहां महावीर कोल वाशरी एंड प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने सरकारी घास भूमि, खसरा नंबर 167/1, पर अवैध कब्ज़ा कर रखा है। याचिकाकर्ता देवांगन ने पहले भी इस अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं होने के कारण हाई कोर्ट में दस्तक दी थी।

Read More 31 करोड़ खर्च के बाद भी खतरा! शहर के खंभों पर तारों का जाल, जनता की जान जोखिम में

हाई कोर्ट ने 6 महीने में कार्रवाई को कहा था मगर अब भी.......

Read More छत्तीसगढ़ में नया शराब घोटाला उजागर: सेल्समैन ने 14 दिन में सरकारी खाते को चूना लगाकर कमाए 1 करोड़; आबकारी अधिकारियों पर भी सवाल

याचिका क्रमांक 2524/2020 की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने 20 जनवरी 2021 को तहसीलदार को सीधा निर्देश दिया था। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता सीमांकन रिपोर्ट के साथ आवेदन पेश करे और तहसीलदार कानून के हिसाब से जल्द फैसला करें। राज्य सरकार के नियमों में भी कोर्ट के ऐसे आदेशों का पालन 6 महीने के भीतर करना ज़रूरी होता है। बावजूद इसके मामला अब तक लंबित है और महावीर कॉल वाशरी से अब भी जमीन खाली नहीं कराई जा सकी है। 

अधिकारियों की मनमानी, नहीं हुआ काम

कोर्ट के आदेश के बाद याचिकाकर्ता ने 27 फरवरी 2021 को ही तहसीलदार के सामने आवेदन जमा कर दिया था। लेकिन याचिकाकर्ता देवांगन ने आरोप लगाया कि छह महीने से भी ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला और तहसीलदार किशन मिश्रा ने उनकी शिकायत पर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया।

याचिकाकर्ता बोले- अधिकारियों पर हो सज़ा

याचिकाकर्ता ईश्वर प्रसाद ने अपनी अवमानना याचिका में साफ कहा है कि यह अधिकारियों द्वारा हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश की जानबूझकर अवज्ञा (विलफुल डिसओबीडिएंस) है। उनकी ओर से वकील रमाकांत पांडे ने 26 अगस्त 2021 को यह अर्जी लगाई थी, जिसमें मांग की गई है कि आदेश का पालन न करने वाले इन दोनों अधिकारियों को सजा दी जाए।

इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि क्या महावीर कोल वाशरी का रसूख इतना बड़ा है कि कलेक्टर और तहसीलदार जैसे अधिकारी भी हाई कोर्ट के आदेश को 4 साल तक नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। अब देखना होगा कि हाई कोर्ट की सख्ती के बाद ये अधिकारी क्या जवाब देते हैं और क्या अंततः सरकारी ज़मीन अवैध कब्ज़े से मुक्त हो पाती है या नहीं।

लेखक के विषय में

More News

पूर्व बर्खास्त आरक्षक ने किया सनसनीखेज हमला, दोस्त की हत्या और इंस्पेक्टर को तलवार से डराया

राज्य

भारत में जासूसी का खेल बेनकाब: गुजरात ATS ने पकड़े पाक से जुड़े दो लोग, महिला भी शामिल भारत में जासूसी का खेल बेनकाब: गुजरात ATS ने पकड़े पाक से जुड़े दो लोग, महिला भी शामिल
नई दिल्ली। गुजरात एटीएस ने एक बड़े जासूसी रैकेट का पर्दाफाश किया है। टीम ने पाकिस्तान से जुड़े नेटवर्क में...
SIR को लेकर राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, 'बीएलओ पर काम का दबाव कम करें, छुट्टी भी दीजिए'
देशभर में इंडिगो की उड़ानें बुरी तरह प्रभावित, 300 फ्लाइट कैंसिल, दिल्ली से हैदराबाद तक अफरा-तफरी
शराब प्रेमियों के लिए अपडेट: मॉल और स्टेशन में खुलेंगी प्रीमियम शराब की दुकानें
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग: विमान में बम की धमकी, संदिग्ध यात्री हिरासत में