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ठेके में गड़बड़ी का आरोप: भाजपा युवा मोर्चा की शिकायत पर कलेक्टर ने बिठाई जांच, काम रोका
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। नगर पालिका परिषद पेंड्रा में 47.66 लाख रुपए की स्ट्रीट लाइट टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगा है। भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अंकुर गुप्ता ने कलेक्टर से शिकायत कर इंजीनियर और सीएमओ पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। शिकायत के बाद कलेक्टर ने जांच टीम का गठन किया है और जांच पूरी होने तक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है।
शिकायतकर्ता अंकुर गुप्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि नगर पालिका परिषद पेंड्रा ने सेमरा तिराहा से दुर्गा चौक बस स्टैंड तक स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए ऑनलाइन टेंडर (निविदा क्रमांक 160989) जारी किया था। निविदा के नियमों के अनुसार, किसी भी टेंडर में तीन फर्मों के तकनीकी बोली में सफल होने के बाद ही उनकी वित्तीय बोली खोली जाती है। लेकिन, इस टेंडर में इंजीनियर और सीएमओ ने अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए तीन फर्मों के तकनीकी बोली में सफल न होने पर भी वित्तीय बोली खोल दी।
आरोप है कि टेंडर में भाग लेने वाली 8 फर्मों में से 5 को अयोग्य घोषित कर दिया गया। बची हुई 3 फर्मों में से एक फर्म (अन्नपूर्णा फर्नीचर फर्म भिलाई) ने टेंडर डिपॉजिट रिसिप्ट (टीडीआर) जमा नहीं किया था, जिसे टेंडर कमेटी ने गलत तरीके से मान्य कर दिया। गुप्ता के मुताबिक, अगर इसकी जांच की जाए तो यह फर्म भी अयोग्य साबित होगी।
जांच दल के निष्कर्षों में पाया गया कि श्याम कंस्ट्रक्शन को टीडीआर रजिस्टर में योग्य माना गया था, लेकिन निविदा में उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया। जबकि, रजिस्टर के अनुसार वह योग्य था और उसकी निविदा भी खोली जानी चाहिए थी। हालांकि, श्याम कंस्ट्रक्शन को अनुभव प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण अयोग्य किया गया था। अन्नपूर्णा फर्नीचर एंड बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन रायपुर के मामले में पाया गया कि ऑफलाइन में टीडीआर सही था, लेकिन ऑनलाइन में आलोक अग्रवाल का टीडीआर अपलोड किया गया था। इसके अलावा, प्रारूप 87 में शपथ पत्र (एफिडेविट) टेंडर की अंतिम तिथि 29.11.2024 के बाद का था। इस वजह से अन्नपूर्णा फर्नीचर को अयोग्य माना जाना चाहिए था, लेकिन उसे योग्य घोषित किया गया, जो कि संदेहास्पद है।
जांच दल ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि नियमों के अनुसार, केवल आलोक अग्रवाल और एसएनबी इलेक्ट्रिकल्स जांजगीर ही योग्य थे। दो ही निविदाकारों के शेष रहने पर उचित प्रतिस्पर्धा के अभाव में निविदा को रद्द कर दोबारा टेंडर जारी किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जांच दल का मानना है कि टेंडर समिति ने जानबूझकर किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लापरवाही की है। जांच दल ने इस निविदा को रद्द करने की सिफारिश की है, और शिकायतकर्ता के आरोपों को सही पाया है। कलेक्टर ने जांच दल की रिपोर्ट से सहमत होते हुए आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव को भेजी है।
