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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 'सामान-मिठाई' के जरिये आबकारी मंत्री को मिले 64 करोड़, SI-प्रकाश ने पहुंचाए कवासी लखमा बंगले में पैसे, जानिए
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 'सामान-मिठाई' के जरिये आबकारी मंत्री को मिले 64 करोड़, SI-प्रकाश ने पहुंचाए कवासी लखमा बंगले में पैसे, जानिए
छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का शराब घोटाला, मंत्री, अफसर और कारोबारियों की मिलीभगत से नकली होलोग्राम वाली शराब की बिक्री, हर महीने ₹1.5 करोड़ की रिश्वत, ED और ACB की जांच में बड़ा खुलासा।
रायपुर: छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित 2200 करोड़ का शराब घोटाला एक संगठित और योजनाबद्ध भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें सरकारी शराब दुकानों के माध्यम से नकली होलोग्राम वाली शराब की अवैध बिक्री कर करोड़ों की अवैध कमाई की गई थी। इस घोटाले का संचालन एक मजबूत सिंडिकेट द्वारा किया गया था, जिसकी कमान कारोबारी अनवर ढेबर, तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा, तत्कालीन आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी, और निलंबित IAS अनिल टुटेजा के हाथों में थी।
प्रत्येक महीने इस घोटाले के तहत आबकारी मंत्री को ₹1.5 करोड़ की रकम पहुंचाई जाती थी। यह पैसा सिंडिकेट के मुख्य कर्ताधर्ता अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल के द्वारा अमित सिंह को दिया जाता था। अमित सिंह ये पैसा प्रकाश शर्मा उर्फ छोटू की मदद से महिंद्रा बस सर्विसेज के मालिक इंदरदीप सिंह गिल उर्फ इनू और कमलेश नाहटा की बताई जगहों पर पहुंचाता था। ओएसडी जयंत देवांगन को मंत्री बंगले में लाकर पैसा छोड़ा जाता था। यह रकम प्रति माह डेढ़ करोड़ थी।
वहीं ED की चार्जशीट के अनुसार जो भी व्यक्ति ओएसडी जयंत देवांगन के पास पैसा लेकर जाता था। वो पैसों के बंडल जांच कराने के बाद वॉट्सऐप कॉल के माध्यम से उसका कंफर्मेशन देता था। ये कंफर्मेशन शेख सकात (कवासी लखमा के सुरक्षा अधिकारी) के मोबाइल के माध्यम से होती थी। इसकी पुष्टि खुद लखमा करते थे। EOW की चार्जशीट के अनुसार कवासी लखमा द्वारा उनके कार्यकर्ताओं, संबंधियों के हवाई यात्रा, होटल और वाहन बुकिंग की व्यवस्था की जाती थी। इस राशि का भुगतान नगद में दिया जाता था। 2023 में 41 लाख 94 हजार 211 बुकिंग की गई, जिसमें 28 लाख 30 हजार 140 रुपए का नगद भुगतान किया गया।
सरकारी दस्तावेजों में इन बिक्री को छिपाया गया और शराब खपत के फर्जी आंकड़े बनाए गए। केवल 15 जिलों को इस गोरखधंधे के लिए चुना गया था, और जांच में पाया गया कि लगभग 40 लाख पेटियों की अवैध बिक्री की गई। इसकी एमआरपी सिंडिकेट के सदस्यों ने शुरुआत में प्रति पेटी 2880 रुपए रखी थी। इनकी खपत शुरू हुई, तो सिंडिकेट के सदस्यों ने इसकी कीमत 3840 रुपए कर दी।

2024 में तत्कालीन आबकारी सचिव अरुणपति त्रिपाठी, बीएसपी कर्मी अरविंद सिंह, कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप पांडेय, रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा और सुनील दत्त की गिरफ्तारी हो चुकी है। 2025 में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और कारोबारी विजय भाटिया को गिरफ्तार किया गया है।
डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी। खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई।
खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली। सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी। यह घोटाला भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और सरकारी तंत्र की मिलीभगत का एक बड़ा उदाहरण बन गया है।
