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छत्तीसगढ़ कोल लेवी घोटाला: अब CBI संभालेगी 570 करोड़ की जांच, बड़े नेता-अफसर रडार पर
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित ₹570 करोड़ के कोल लेवी घोटाले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई है। राज्य सरकार ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) की धारा-6 के तहत CBI को राज्य में स्वतंत्र जांच की अनुमति दे दी है। गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP) और रेंज अधिकारियों (IG) को CBI के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।
इस फैसले से छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। द हितवाद के वरिष्ठ खोजी पत्रकार मुकेश एस सिंह की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के बाद यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आया था, जिसने जांच एजेंसियों की अब तक की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए थे।
क्या है कोल लेवी घोटाला?
यह घोटाला साल 2020 से 2022 के बीच का है, जब छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन के नाम पर प्रति टन ₹25 की अवैध वसूली की जा रही थी। जांच एजेंसियों के दस्तावेजी प्रमाणों के मुताबिक, इस वसूली के जरिए करीब ₹570 करोड़ की काली कमाई की गई। यह पैसा कारोबारी नेटवर्क, राजनेताओं और अधिकारियों के गठजोड़ से इकट्ठा किया गया था। कुछ जगहों पर बिचौलियों और ट्रांसपोर्ट यूनियनों का भी सीधा दखल पाया गया।
सूर्यकांत तिवारी मास्टरमाइंड, ED की जांच में कई खुलासे
इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड रायपुर का कारोबारी सूर्यकांत तिवारी बताया जा रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अब तक की जांच में सामने आया है कि तिवारी ने इस घोटाले को एक कॉर्पोरेट ऑपरेशन की तरह संचालित किया, जिसमें अधिकारी, बिचौलिए, नेताओं के निजी सचिव और ट्रांसपोर्ट लॉबी तक शामिल थे। तिवारी फिलहाल जेल में है, लेकिन उसने सितंबर 2024 में जेल से आरोप लगाया था कि ACB/EOW प्रमुख अमरेश मिश्रा ने उस पर जेल में जबरन बयान देने का दबाव बनाया।
ED ने उठाये थे जांच पर सवाल, अब भाजपा सरकार का बड़ा कदम
14 अगस्त 2023 को ED ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर दावा किया था कि राज्य की ACB और EOW एजेंसियां इस घोटाले की जांच निष्पक्षता से नहीं कर रही हैं। उस समय छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार थी और घोटाले की कड़ी कुछ नेताओं तक भी जाती दिख रही थी। अब भाजपा की विष्णुदेव सरकार ने सत्ता में आते ही यह अहम फैसला लिया और CBI को जांच सौंपने का औपचारिक आदेश जारी कर दिया।
राज्य के गृह विभाग ने CBI को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (DSPE Act) की धारा-6 के तहत जांच की अनुमति दी है। इसके तहत अब CBI पूरे राज्य में स्वतंत्र रूप से छानबीन, छापा और गिरफ्तारी कर सकती है। पुलिस मुख्यालय (PHQ) स्तर पर सभी जिलों के SP और रेंज IG को इस जांच में CBI का समर्थन और समन्वय करने के आदेश दिए गए हैं।
कौन हैं अब तक गिरफ्तार हुए अधिकारी?
इस घोटाले में अब तक तीन बड़े अधिकारियों को CBI और ED ने गिरफ्तार किया था:
IAS समीर विश्नोई
IAS रानू साहू
उप सचिव सौम्या चौरसिया
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दी है, जिसमें यह स्पष्ट निर्देश है कि वे राज्य से बाहर रहेंगे और हर हफ्ते किसी अन्य राज्य के थाने में हाजिरी देंगे।
कांग्रेस के दो विधायक और कोषाध्यक्ष भी रडार पर
ED की दूसरी अनुपूरक चार्जशीट में कांग्रेस के दो विधायकों देवेंद्र यादव और चंद्रदेव राय के नाम सामने आए हैं। चार्जशीट में दावा किया गया है कि कोयला और लौह अयस्क परिवहन से वसूली गई रकम को बेनामी खातों और शेल कंपनियों के जरिए राजनीतिक उपयोग में लगाया गया। कांग्रेस प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल अब भी फरार हैं। ED ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था, लेकिन 2023 की रेड के बाद से वे सार्वजनिक रूप से कहीं नजर नहीं आए।
CBI की आगे की रणनीति: दस्तावेज खंगालने से गिरफ्तारी तक
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, CBI की टीम ने घोटाले से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल शुरू कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले हफ्तों में राज्य में एक के बाद एक छापे और गिरफ्तारियां देखने को मिलेंगी। सरकारी महकमों और सियासी गलियारों में अभी से बेचैनी और फुसफुसाहट शुरू हो गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पूरी कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना करार देते हुए कहा था, अगर ACB और ED के दबाव में जबरन बयान दिलवाए गए, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। यह एक सोची-समझी साजिश है।
