भाजपा नेता की दबंगई से महिला पंच को गाली-गलौज, वीडियो वायरल: क्या सुशासन के दावे खोखले?

कोरबा में रेत माफिया की सरपरस्ती का आरोप, एफआईआर के बाद भी कार्रवाई पर सवाल

कोरबा। छत्तीसगढ़ में सुशासन और महिला सम्मान के भाजपा के दावों पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है। कोरबा जिले के करतला क्षेत्र अंतर्गत कुदमुरा पंचायत में भाजपा नेता नटवरलाल शर्मा का एक अशोभनीय और शर्मनाक चेहरा सामने आया है। एक निर्वाचित महिला पंच, गीता यादव, को सरेआम गाली-गलौज, चारित्रिक लांछन और जान से मारने की धमकी देने का आरोप इस नेता पर लगा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने जनता में आक्रोश पैदा कर दिया है।यह पूरा मामला 6 जून 2025 का है, जब वार्ड क्रमांक 5 की महिला पंच गीता यादव अपने घरेलू कार्य के लिए थोड़ी-सी रेत लेने मांड नदी के घाट पर पहुंची थीं। आरोप है कि वहां मौजूद भाजपा नेता नटवरलाल शर्मा ने उन्हें रेत देने से इनकार करते हुए कहा, "ये मेरा खदान है, जिसे चाहूं उसे रेत दूंगा, छोटी गाड़ी को नहीं देंगे।" इसके बाद बात इतनी बढ़ गई कि नेता ने महिला पंच को न सिर्फ अभद्र गालियाँ दीं, बल्कि गाड़ी समेत गाड़ देने और जान से मारने की धमकी भी दे डाली। इस शर्मनाक घटना के चश्मदीद गाँव के संजू लहरे, द्वारका राठिया और एक नगर सैनिक भी रहे।

महिला पंच ने 8 जून को करतला थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिस पर धारा 296 और 351(3) BNS के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एक रसूखदार भाजपा नेता पर वाकई सख्त कार्रवाई होगी या हमेशा की तरह मामला दबा दिया जाएगा?

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुदमुरा घाट पर पंचायत के नाम पर सिर्फ दिखावटी संचालन हो रहा है, जबकि असल में रेत माफिया ने कब्जा जमा रखा है। नटवरलाल जैसे नेता 'ठेकेदार' की भूमिका में खुद को मालिक समझते हैं और पंचायत/सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हैं। हैरानी की बात यह है कि खनिज विभाग और पुलिस प्रशासन इस blatant मनमानी पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है; नटवरलाल शर्मा पहले भी गाली-गलौज और बदतमीजी के लिए बदनाम रहा है। अगर एक चुनी हुई महिला जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो आम ग्रामीणों की स्थिति का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है।

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अब देखना यह होगा कि क्या सरकार और प्रशासन इस बेशर्मी पर चुप रहेंगे? भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह ऐसे नेताओं का समर्थन करती है जो महिला जनप्रतिनिधियों को धमकाते हैं? साथ ही, खनिज विभाग और पुलिस को यह जवाब देना होगा कि क्या वे वाकई कानून के रखवाले हैं, या सिर्फ रसूखदारों के दरबारी?

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