12 करोड़ का एनीकट 5 साल में बहा, 12 गांवों की सिंचाई ठप: नई जांच टीम पर लीपापोती का गंभीर आरोप

बिलासपुर. कोटा के पहन्दा में 12 करोड़ रुपये की लागत से बना एनीकट सिर्फ 5 साल में ही ढह गया है, जिससे 12 गांवों की सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह से ठप हो गई । हैरानी की बात यह है कि इस मामले में पहले विधानसभा में गलत जानकारी दी गई और मंत्री को गुमराह करने की कोशिश की गई, और अब गठित की गई नई जांच टीम पर ही लीपापोती का गंभीर आरोप लग रहा है. 

यह नई जांच टीम सवालों के घेरे में है क्योंकि इसमें शामिल सदस्यों की नीयत पर संदेह किया जा रहा है और ऐसा लगता है कि पूरे मामले को दबाने की सोची-समझी साजिश रची जा रही है.

आरोप है कि ठेकेदार को बचाने के लिए सिंचाई विभाग के इंजीनियर इन चीफ (ईएनसी) ने विधानसभा में दावा किया कि एनीकट 2012 में नहीं बल्कि 2023 में अरपा नदी में आई बाढ़ से क्षतिग्रस्त हुआ था. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि 12 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को सिर्फ 2 लाख रुपये में ठीक किया जा सकता है, जबकि एनीकट का आधा हिस्सा पिछले साल ही बह गया था.

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दबाव में बनी नई जांच टीम, पर इरादों पर गहरे सवाल

दबाव बढ़ने पर इस मामले में एक नई जांच टीम का गठन तो कर दिया गया है, लेकिन इसके इरादों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. सूत्रों की मानें तो ईएनसी ने पुरानी 18 तारीख पर जांच के निर्देश देने के हस्ताक्षर करवा लिए हैं, जिससे मामले में लीपापोती की आशंका बढ़ गई है. सबसे अहम बात यह है कि जांच का जिम्मा ऐसे लोगों को दिया गया है, जिन पर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं. आश्चर्यजनक रूप से, जांच में इस बात को शामिल किया गया है कि क्या अवैध रेत खनन से एनीकट को नुकसान हो सकता है, जबकि यह बातें जांच टीम की खुद की पड़ताल में आनी चाहिए थीं. कुल मिलाकर, इस पूरे मामले को दबाने और दोषियों को बचाने की सोची-समझी साजिश रची जा रही है.

घटिया निर्माण और अधिकारियों की अनदेखी ने किया बर्बाद

यह एनीकट साल 2012 में 12 करोड़ रुपये की मोटी लागत से बनाया गया था. इसका मकसद 350 हेक्टेयर से ज्यादा कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा देना था, ताकि किसानों को फायदा हो. लेकिन, शुरुआत से ही इसमें घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हुआ, जिससे एनीकट की दीवारें कमजोर पड़ गईं. पिछले साल हुई भारी बारिश में इसका आधा हिस्सा बह गया था और अब पूरा ढांचा ही ढह चुका है.

रिपोर्ट भेजने के बाद भी नहीं बनी पहली जांच टीम, मामला ठंडे बस्ते में

जल संसाधन विभाग, हसदेव कछार के मुख्य अभियंता कार्यालय से 4 अगस्त 2023 को अरपा नदी में आई भीषण बाढ़ से एनीकट को हुए नुकसान की रिपोर्ट भेजी गई थी. पत्र में साफ कहा गया था कि एनीकट क्षतिग्रस्त हो गया है और जांच समिति बनाकर जांच कराने की सिफारिश की गई थी. कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग पेण्डरारोड से भी 11 अगस्त 2023 को संदर्भ पत्र मिला था. अधीक्षण अभियंता, जल संसाधन मंडल बिलासपुर और कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग पेण्डरारोड को भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इस सूचना के बाद भी कोई जांच कमेटी नहीं बनी और मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

किसानों का आरोप: अधिकारियों ने नहीं दी दरारों पर ध्यान

क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को एनीकट में दिख रही दरारों के बारे में बताया था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. अब सिंचाई का मुख्य जरिया खत्म होने से किसान बुरी तरह परेशान हैं. किसान नेता रामलाल पटेल ने इसे भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण बताया है. उन्होंने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

ठेकेदार को बचाने के लिए मंत्री को गुमराह करने का आरोप: ऊंचे अधिकारियों पर उंगली

इस पूरे मामले में महामाया डेवलपर्स एंड बिल्डकॉन नामक कंपनी पर घटिया काम करने का आरोप है. कंपनी के मालिक पवन अग्रवाल पर सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता आलोक अग्रवाल का रिश्तेदार होने और उनसे संरक्षण मिलने का आरोप है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सिंचाई विभाग के ईएनसी पर आलोक अग्रवाल के भाई पवन अग्रवाल को बचाने का सीधा आरोप है. आरोप है कि ईएनसी ने मंत्री केदार कश्यप और विधानसभा सदन को गुमराह करते हुए कहा कि 12 करोड़ का एनीकट सिर्फ 2 लाख रुपये में ठीक हो सकता है. इस दावे पर अब गंभीर सवाल उठ रहे हैं. किसान संगठनों ने मांग की है कि मंत्री खुद मौके पर जाकर एनीकट का मुआयना करें. साथ ही, उन्होंने ईएनसी को तत्काल हटाने, ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज करने और उससे वसूली कर एनीकट का फिर से निर्माण कराने की भी मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह तुर्काडीह पुल निर्माण घोटाले में दोषियों पर कार्रवाई हुई थी, उसी तरह इस मामले में भी सख्त कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

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