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दुर्ग नन गिरफ्तारी में नया मोड़: युवती ने कहा- "मैं अपनी मर्जी से जा रही थी आगरा"
दुर्ग नन गिरफ्तारी में नया मोड़: युवती ने कहा- "मैं अपनी मर्जी से जा रही थी आगरा"
दुर्ग में पकड़ी गई युवती कमलेश्वरी प्रधान ने कहा कि वह अपनी मर्जी से आगरा जा रही थी। पुलिस और बजरंग दल के धर्मांतरण के आरोप झूठे हैं। पढ़ें पूरा मामला और सियासी हलचल।
दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो ननों और एक युवक के साथ पकड़ी गई तीन आदिवासी युवतियों के मामले में अब नया मोड़ सामने आया है। इस केस को लेकर लगाए गए धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों पर उस समय सवाल उठने लगे जब पीड़ित बताई जा रही युवती कमलेश्वरी प्रधान ने मीडिया के सामने आकर सच्चाई बयानी।
नारायणपुर की रहने वाली कमलेश्वरी प्रधान ने कहा कि मैं अपनी मर्जी से आगरा जा रही थी। वहां एक अस्पताल में सिस्टर और मरीजों की सेवा करने का अवसर मिला था। ननों या युवक ने मुझ पर कोई दबाव नहीं डाला। कमलेश्वरी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे पिटाई करके जबरन बयान दिलवाया और ननों को बेवजह फंसाया गया। उसने दावा किया कि उसका परिवार पहले से ही ईसाई धर्म अपना चुका है। जब मेरी मां बहुत बीमार थीं, तो चर्च में प्रार्थना के बाद उनकी हालत में सुधार आया। इसके बाद हमने ईसाई धर्म स्वीकार किया।
दरअसल, 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दो ननों, एक युवक और तीन युवतियों को ट्रेन में पकड़ा। आरोप लगाया गया कि इन युवतियों को धर्मांतरण और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के उद्देश्य से आगरा ले जाया जा रहा था। पुलिस ने शिकायत के आधार पर गिरफ्तारी की थी।
मामले ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। केरल से चार सांसद आज रायपुर पहुंचे हैं। वे पहले दुर्ग जेल जाकर ननों से मुलाकात करेंगे और फिर दोपहर 3 बजे रायपुर में कांग्रेस नेताओं के साथ विरोध प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस ने इस गिरफ्तारी को संविधानिक अधिकारों का हनन बताया है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई व्यस्क महिला स्वेच्छा से यात्रा कर रही है, तो उसे रोकना या उसकी धार्मिक स्वतंत्रता पर सवाल उठाना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। अब मामला जांच के दायरे में है, और आगे की कार्रवाई कमलेश्वरी के बयान के आधार पर तय की जा सकती है। इस बयान ने इस पूरे मामले की प्रारंभिक धारणा को पलट कर रख दिया है। अब जांच एजेंसियों पर निष्पक्ष जांच का दबाव है, जबकि विपक्ष इसे मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बना रहा है।
