सिरगिट्टी थाना विवाद: "दारू-मुर्गा पार्टी" से उठे सवाल, संरक्षण देने वाले अधिकारी क्यों सुरक्षित?

छोटे पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई, जांच की पारदर्शिता पर भी संदेह

बिलासपुर: जिले का सिरगिट्टी थाना इन दिनों एक पुलिस दारू मुर्गा पार्टी को लेकर गहरे विवादों में है। एक ओर जहाँ तत्काल कार्रवाई करते हुए कुछ पुलिसकर्मियों को लाइन अटैच किया गया है, वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने के लिए मामले की गंभीरता को कमतर आँका जा रहा है?

मामला सिरगिट्टी थाने के नए प्रभारी के स्वागत और पूर्व थानेदार की विदाई पार्टी से जुड़ा है। सूत्रों के अनुसार, इस आयोजन में कथित तौर पर कबाड़ कारोबारी भी शामिल थे, जिनमें से कुछ के आपराधिक रिकॉर्ड होने की आशंका जताई जा रही है। कार्यक्रम से सामने आईं तस्वीरों और चर्चाओं ने मामले को तूल दे दिया। जानकारी के अनुसार, इस दौरान कुछ कबाड़ियों के पास से हथियार मिलने की भी बात सामने आई, जिसके बाद पुलिस ने तीन कबाड़ियों को गिरफ्तार कर हथियार जब्त करने की कार्रवाई की। हालाँकि, उनके ठिकानों या अवैध कारोबार के गढ़ों पर कोई ठोस छापेमारी या गहन जांच नहीं की गई।

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पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने मामले का संज्ञान लेते हुए कुछ कांस्टेबल और आरक्षकों का स्थानांतरण किया। लेकिन विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस आयोजन की योजना और अनुमति में वरिष्ठ अधिकारियों की भी पूरी जानकारी और सहमति थी। ऐसे में केवल निचले स्तर के कर्मचारियों पर कार्रवाई से जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग के ही एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कार्यक्रम की पूरी जानकारी थाने के प्रमुख जिम्मेदार अफसरों को थी, और छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई न्यायसंगत नहीं है।

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यह भी चर्चा है कि एसएसपी रजनेश सिंह को मामले की पूरी जानकारी नहीं दी गई, या उन्हें जानबूझकर गुमराह किया गया ताकि बड़े अधिकारियों की कुर्सी सुरक्षित रह सके। सूत्रों का कहना है कि सिरगिट्टी थाना क्षेत्र से अवैध कबाड़ व्यापार से जुड़ी मोटी रकम वसूली जाती है, जो अधिकारियों तक पहुँचती है। ऐसे में आशंका है कि कबाड़ियों पर सीधी और गहरी कार्रवाई से यह "काली कमाई" प्रभावित हो सकती थी, इसलिए जांच की दिशा को सीमित रखा गया।

यह मामला अब केवल एक स्वागत समारोह या अनुशासनहीनता का नहीं, बल्कि पुलिस विभाग की जवाबदेही, पारदर्शिता और विश्वसनीयता की परीक्षा बन चुका है। बिलासपुर की जनता और स्वयं विभाग यह जानने को उत्सुक है कि क्या एसएसपी रजनेश सिंह व्यक्तिगत रूप से इस मामले की जांच की कमान संभालेंगे और हर स्तर पर जवाबदेही तय करेंगे, या यह मामला भी केवल "औपचारिक कार्रवाई" बनकर रह जाएगा।

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