साय सरकार अस्थिर करने असंतुष्ट किरदार रच रहे साजिश? अंदरूनी घमासान तेज!

रायपुर: छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार को अस्थिर करने की अंदरूनी साजिश की अटकलें तेज हो गई हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सरकार से असंतुष्ट कुछ अहम किरदार नेतृत्व परिवर्तन के बहाने मुख्यमंत्री साय के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि ये वे नेता हैं जो भाजपा की जीत तो चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर आलाकमान के फैसले से खुश नहीं थे। अब ऐसे विषधरों ने मुख्यमंत्री साय के खिलाफ अपना फन उठाना शुरू कर दिया है।

सियासत के जानकारों का कहना है कि किसी भी पार्टी में सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने के लिए शह और मात का खेल नया नहीं है। मौजूदा भाजपा सरकार में भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर गिद्ध दृष्टि लगाए बैठे एक वजीर का नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि यह वही नेता है जिसकी नज़र शुरू से ही प्रदेश के सर्वोच्च पद पर थी। विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद, आलाकमान ने तमाम कयासों के विपरीत एक साफ सुथरी छवि के आदिवासी नेता विष्णु देव साय को प्रदेश की कमान सौंप दी। यह फैसला चंद अति महत्वाकांक्षी नेताओं और मुख्यमंत्री साय के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को रास नहीं आया।

सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर अमल में हो रही देरी को इसी अंदरूनी कलह से जोड़कर देखा जा रहा है। स्थिति तब और बिगड़ गई जब साल भर के भीतर सत्ता के दो ध्रुव स्थापित हो गए। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान तीन नेताओं को चुनाव जीतने के बाद 'बड़ा आदमी' बनाने की घोषणा की थी, और ये तीनों साय मंत्रिमंडल में बड़े पदों पर हैं।

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हालांकि, इन सबके बीच सियासत की बिसात पर एक मोहरा ऐसा भी है, जो चुपचाप अपनी चालें चलता रहा। घोंघे की तरह खुद को खोल में छुपाकर रखा और कभी अपने इरादे जाहिर नहीं किए। सत्ता में संतुलन बनाए रखने के लिए उसे मंत्रिमंडल में शामिल कर खेती किसानी वाले एक अहम महकमे की जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन सत्ता की उसकी भूख कम नहीं हुई। बताया जाता है कि नेतृत्व परिवर्तन की योजना को अंतिम रूप देने के लिए उसका एक मालदार और रसूखदार समर्थक पानी की तरह पैसा बहा रहा है। इसके लिए राजधानी रायपुर से हजार किलोमीटर दूर मायानगरी मुंबई के जुहू इलाके में एक आलीशान बंगला खरीदा गया है, और वहीं से बीजेपी आलाकमान से जुड़े कुछ कद्दावर नेताओं से गोपनीयता बनाए रखते हुए संपर्क साधा जा रहा है।

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      राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ईमानदार छवि के प्रदेश नेतृत्व को अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सावधान हो जाना चाहिए। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि शह और मात के इस खेल में ऊंट किस करवट बैठता है।

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