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बिलासपुर में 10 साल से चल रहा नक्शा-लेआउट घोटाला उजागर, फर्जी आर्किटेक्ट विकास सिंह ब्लैकलिस्टेड, अफसरों की भूमिका संदिग्ध
बिलासपुर में 10 साल से चल रहा नक्शा-लेआउट घोटाला उजागर, फर्जी आर्किटेक्ट विकास सिंह ब्लैकलिस्टेड, अफसरों की भूमिका संदिग्ध
बिलासपुर में 10 साल से चल रहे नक्शा और ले-आउट घोटाले का खुलासा, फर्जी आर्किटेक्ट विकास सिंह ब्लैकलिस्टेड। अधिकारियों की मिलीभगत से 400 नक्शे, 150 ले-आउट पास।
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग (TCP) के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी आर्किटेक्ट के जरिए 400 से अधिक नक्शे और 150 ले-आउट पास करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। विभागीय जांच में खुलासा होने के बाद नगर निगम ने फर्जी आर्किटेक्ट विकास सिंह को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जबकि असली गड़बड़ी में शामिल अधिकारियों पर कोई सीधी कार्रवाई नहीं हुई है।
10 साल से चल रहा था फर्जीवाड़ा
जांच के अनुसार, 2015 से 2025 तक विकास सिंह नामक व्यक्ति के नाम से नक्शा और ले-आउट पास होते रहे। लेकिन आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने साफ किया है कि विकास सिंह नाम का कोई व्यक्ति उनके रजिस्टर्ड सदस्यों में शामिल नहीं है। इसके बावजूद उसके नाम से नगर निगम और TCP के अधिकारियों ने सैकड़ों फाइलें पास कीं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि विकास सिंह के नाम पर पंजीकृत मोबाइल नंबर (7415380854) किसी आर्किटेक्ट का नहीं, बल्कि TCP में प्रतिनियुक्ति पर तैनात सब इंजीनियर मयूर गेमनानी का है, जिनका अतीत विवादों से भरा रहा है।
एक दिन में 29 फाइलें अप्रूव!
जांच में सामने आया है कि अधिकारियों ने एक ही दिन में 29 फाइलें अप्रूव कीं, जिनमें समान प्रकार की गंभीर अनियमितताएं मिलीं। विकास सिंह के नाम पर जितने भी नक्शे और लेआउट पास हुए, उनमें अवैध निर्माण की शिकायतें आम रहीं।
एसोसिएशन ने भी जताई नाराजगी
जब मामले की जांच के बाद निगम ने केवल विकास सिंह पर कार्रवाई करते हुए उसका लाइसेंस निलंबित और उसे एक साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया, तब आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने नाराजगी जताते हुए निगम प्रशासन पर अफसरों को बचाने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि असल दोषी TCP और भवन शाखा के अफसर हैं, जिन्होंने जानबूझकर एक फर्जी व्यक्ति के नाम पर फाइलें पास कीं।
मयूर गेमनानी पर संदेह की सुई
फर्जीवाड़े में जिस नंबर का इस्तेमाल हुआ, वह मयूर गेमनानी का है। वे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर नगर और ग्राम निवेश विभाग (TCP) में तैनात थे और पहले से ही कई विवादों में रहे हैं। हाईकोर्ट द्वारा याचिका खारिज होने के बाद ही उन्हें अप्रैल 2025 में मूल विभाग भेजा गया। पूर्व कलेक्टर अवनीश शरण ने भी उनकी शिकायतों के आधार पर कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन कथित रूप से एक प्रभावशाली राजनेता के दबाव में कार्रवाई टाल दी गई थी।
निगम आयुक्त का बयान
नगर निगम आयुक्त अमित कुमार ने बताया कि नगर निगम में 650 इंजीनियर और आर्किटेक्ट पंजीकृत हैं। जिनके लाइसेंस निलंबित किए गए हैं, वे इंजीनियर हैं, न कि आर्किटेक्ट। उन्होंने माना कि विकास सिंह ने महक आहूजा के भवन निर्माण में निगरानी की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन निर्माण नक्शे के विपरीत हुआ। इस घोटाले ने साफ कर दिया है कि बिलासपुर में नगर विकास योजनाओं में भारी अनियमितताएं वर्षों से चली आ रही हैं। एक फर्जी नाम के जरिए इतने सालों तक योजनाओं को पास कराना और फिर भी अफसरों पर कोई कड़ी कार्रवाई न होना, प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
