महंत बोले,विधायक सदन में लाठी लेकर जाएंगे भाजपा ने बयान को लोकतंत्र में हिंसा से जोड़ा 

रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र 14 जुलाई से शुरू होने जा रहा है और इससे पहले ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के एक बयान ने सियासी गलियारों में उफान ला दिया है. महंत ने कहा है कि इस बार कांग्रेस के सभी विधायक सदन में लाठी लेकर जाएंगे. उनके इस बयान पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पलटवार करते हुए इसे लोकतंत्र में हिंसा से जोड़ा है. इस बयानबाजी से साफ है कि आने वाले सत्र में कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिलेगी.

महंत का लाठी वाला बयान और कांग्रेस .....

 नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब उन पर सरकार के खिलाफ पर्याप्त मुखर न होने के आरोप लग रहे थे. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार विपक्ष जनहित के मुद्दों को पूरी मजबूती से उठाएगा और सदन के भीतर व बाहर एकजुटता भी दिखाई जाएगी. महंत ने दो टूक कहा कि मानसून सत्र के लिए उनकी पूरी तैयारी है और सभी सदस्य लाठी लेकर जाएंगे. यह पहली बार नहीं है जब महंत ने लाठी का जिक्र किया हो. इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने चुनावी मंच से लाठी मारने की बात कही थी, जिस पर खूब सियासी हंगामा मचा था.

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भाजपा ने हिंसा से जोड़ा

महंत के इस बयान पर भाजपा ने तुरंत पलटवार किया है. उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने उनके बयान को सीधे हिंसा से जोड़ दिया है .साव ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और सदन में सभी को अपनी बात रखने का अवसर मिलता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि सत्र को लेकर सरकार की पूरी तैयारी है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी जब महंत ने लाठी मारने की बात कही थी, तब भी भाजपा ने उन पर जमकर हमला बोला था. साव ने याद दिलाया कि चुनावी नतीजों में जनता ने कांग्रेस ने अपनी लाठी चलाई थी। 

बयान के क्या मायने....

छत्तीसगढ़ की राजनीति में आमतौर पर लाठी डंडों का कभी कोई स्थान नहीं रहा है, लेकिन चरणदास महंत के इस बयान ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि इस बार सत्र में विपक्ष के तेवर काफी तल्ख होंगे. कांग्रेस साय सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी. महंत का यह बयान जितना महत्वपूर्ण है, उससे ज्यादा इसकी टाइमिंग अहम है. उन पर लग रहे चुप्पी के आरोपों के बीच यह बयान उनकी आक्रामक शैली को दर्शाता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सदन के भीतर और बाहर महंत और कांग्रेस कितनी आक्रामकता के साथ सरकार को घेरते हैं.

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