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आंगनबाड़ी की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त: भोजन में लापरवाही मिली, मुख्य सचिव से मांगा नया एक्शन प्लान
बिलासपुर। राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाली और बच्चों को मिलने वाले खराब भोजन के मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में गंभीर खामियां सामने आने के बाद, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव को नया शपथ पत्र पेश करने का निर्देश दिया है, जिसमें राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी की स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की पूरी जानकारी हो। यह मामला सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का नहीं, बल्कि छोटे बच्चों के भविष्य से जुड़ा हुआ है।
जांच रिपोर्ट में खुली व्यवस्था की पोल
इस पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। दरअसल, आंगनबाड़ियों में अव्यवस्था और मध्यान्ह भोजन में लापरवाही की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट ने 28 अक्टूबर 2025 को दो कोर्ट कमिश्नर—अमियकांत तिवारी और ईशान वर्मा—को बिलासपुर और रायगढ़ जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करने भेजा था। कोर्ट से नियुक्त अधिकारियों ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसने व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी।
नए समूह को काम, पर पुराने कर्मचारी परोस रहे थे खाना
रिपोर्ट के अनुसार, बिलासपुर के मंगला इलाके में बच्चों को दिया जाने वाला भोजन खराब मिला था। अधिकारियों ने बताया था कि भोजन वितरण का काम पुराने समूह कल्याणी स्व सहायता समूह से हटाकर पहल स्वयं सेवी संस्थान को दे दिया गया है।
लेकिन, निरीक्षण के दौरान एक बड़ी विसंगति सामने आई। जांच में पाया गया कि सेंट्रल किचन में खाना बनने के बावजूद, बच्चों को खाना परोसने का काम अभी भी कल्याणी स्व सहायता समूह के ही पुराने कर्मचारी कर रहे थे। यह दिखाता है कि सिर्फ कागजी कार्रवाई की गई, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं हुआ। रायगढ़ के आंगनबाड़ियों में भी इसी तरह की बड़ी अव्यवस्था की ओर हाईकोर्ट का ध्यान दिलाया ।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति सुधारने के लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इसकी जानकारी देते हुए नया और विस्तृत शपथ पत्र दें। अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
