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कोरबा: तनेरा फॉरेस्ट बैरियर पर 'सुशासन' की उड़ती धज्जियां, अवैध वसूली का गढ़ बनी वनोपज जांच चौकी
कोरबा, छत्तीसगढ़: पोड़ी थाना क्षेत्र का तनेरा फॉरेस्ट बैरियर, जो कभी वन संपदा की सुरक्षा का प्रतीक हुआ करता था, अब अवैध वसूली का अड्डा बन चुका है। यहां रातों-रात 'सुशासन' के दावों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और भ्रष्टाचार का खेल बेखौफ जारी है। आश्चर्य की बात यह है कि इस गंभीर मामले में प्रशासन की चुप्पी कई बड़े सवाल खड़े कर रही है।
वन विभाग की मिलीभगत से निजी व्यक्तियों का 'राज'
आरोप है कि रात के अंधेरे में वन विभाग के अधिकारी बैरियर से नदारद रहते हैं। उनकी जगह निजी व्यक्तियों को बैठाकर धड़ल्ले से अवैध वसूली की जा रही है। ये निजी गुर्गे आने-जाने वाले वाहनों से खुलेआम पैसे ऐंठते हैं, और हैरानी की बात यह है कि कोई भी अधिकारी इन पर लगाम कसने को तैयार नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब वन विभाग की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
विरोध करने वालों पर झूठे मुकदमों का शिकंजा: पत्रकार भी शिकार
जो भी व्यक्ति इस अवैध गतिविधि का विरोध करने या जानकारी लेने की कोशिश करता है, उसे सीधे-सीधे धमकी दी जाती है और पोड़ी थाने में झूठे व फर्जी मामले दर्ज कर दबाव बनाया जाता है। हाल ही में, 'राष्ट्रीय जगत विजन' के एक पत्रकार ने जब इस मामले में मौके पर पदस्थ एएसआई से संपर्क किया, तो उन्हें न सिर्फ वसूली करने वालों का पक्ष लेते हुए जवाब मिला, बल्कि जब उन्होंने एसपी का नंबर मांगा तो उन्हें एक ऐसा नंबर दिया गया जो स्वयं एएसआई जोगी के नाम पर पंजीकृत था! एएसआई जोगी ने खुद को कोरबा एसपी सिद्धार्थ तिवारी बताकर पत्रकार से बात की और धमकाया, "अपराध दर्ज हो गया है, अब कोर्ट में जो करना हो करो।"
इस घटना ने पुलिस और वन विभाग दोनों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। तनेरा फॉरेस्ट बैरियर पर तैनात इन 'प्राइवेट कर्मचारियों' को सरकारी कर्मचारी बताकर यह दावा किया जा रहा है कि इन्हें डीएफओ ने रखा है। यह स्थिति सरकार की 'जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन' की नीति पर सीधा प्रश्नचिह्न लगाती है।
जनता पूछ रही है: क्या यही है विष्णुदेव साय सरकार का 'सुशासन' और मोदी की 'भ्रष्टाचार पर कार्यवाही की गारंटी'?
कोरबा की जनता अब खुले तौर पर पूछ रही है कि क्या यही विष्णुदेव साय सरकार का 'सुशासन' है, जिसकी गारंटी दी जा रही है? क्या प्रधानमंत्री मोदी की 'भ्रष्टाचार पर कार्यवाही की गारंटी' सिर्फ कागजों तक सीमित है? जब आम आदमी और पत्रकार भी अवैध वसूली के खिलाफ आवाज उठाने पर झूठे मुकदमों के घेरे में आ रहे हैं, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर प्रकरण पर कब संज्ञान लेता है। क्या जनता को न्याय के लिए केवल अदालत का ही दरवाजा खटखटाना पड़ेगा, या फिर जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी? तनेरा फॉरेस्ट बैरियर पर चल रहा यह 'अवैध खेल' सरकार के सुशासन के दावों की पोल खोल रहा है।
तनेरा फॉरेस्ट चौकी में कार्य करने वाला व्यक्ति डेली वेजेस में नौकरी कर रहा है उन्हें डीएफओ साहब ने नौकरी पर रखा है
श्री सोनी ,Ro पसान रेंज जलके
