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25 साल बाद भी राजधानी की बस सेवा बदहाल: 19 लाख की आबादी, शहर में एक भी सिटी बस नहीं
रायपुर। राजधानी की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था 25 साल बाद भी पूरी तरह फेल है। करीब 19 लाख की आबादी वाले इस शहर में भीतरी रूटों पर सिटी बसें नदारद हैं। नगर निगम ट्रांसपोर्ट लिमिटेड ने सिटी बसों के संचालन का ठेका श्री दुर्गम्बा ट्रांसपोर्ट लिमिटेड को दिया है। निगम इस कंपनी को प्रति बस हर दिन 3600 रुपए दे रहा है। निगम के पास कुल 67 बसें हैं, लेकिन फिलहाल 40 बसें ही चल रही हैं। हैरानी की बात यह है कि ये 40 बसें शहर के मुख्य मार्गों पर नहीं चलतीं, बल्कि सिर्फ ग्रामीण और बाहरी (आउटर) रूटों पर दौड़ रही हैं। नतीजा यह है कि शहर के बाज़ारों, दफ्तरों और शैक्षणिक क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए नागरिक आज भी महँगे ऑटो और निजी वाहनों पर निर्भर हैं।
निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए बिना रूट बना दिए 13 बस स्टैंड
शहर में आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर नगर निगम ने 13 एसी बस स्टैंड बनवा दिए हैं। इनमें डिजिटल डिस्प्ले, सीसीटीवी, बैठने की सुविधा और पंखे जैसी सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि इन स्टैंडों पर एक भी बस नहीं रुकती। ये करोड़ों के एसी बस स्टॉप आज खाली पड़े हैं। इन स्टैंडों को एक निजी कंपनी ने निगम की ज़मीन पर बनाया है। सवाल यह है कि जब बसें शहर के अंदर चलती ही नहीं, तो यह पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा क्यों किया गया?
महापौर मीनल चौबे ने बताया, "पूर्ववर्ती सरकार की मंशा के कारण नई बसें नहीं खरीदी जा सकीं। बस खरीदने के लिए 15वें वित्त आयोग की जो राशि आई थी, उसे पिछली सरकार ने दूसरे कार्यों में खर्च कर लिया था।"
सूत्रों के अनुसार, नगर निगम को नई बसें खरीदने के लिए 20 करोड़ रुपए का बजट मिला था, पर बस खरीदी की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकी। यह रकम अन्य विकास कार्यों में खर्च कर दी गई। जानकारों का कहना है कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो रायपुर आने वाले समय में और भी गंभीर ट्रैफिक अव्यवस्था का सामना करेगा। बढ़ता ट्रैफिक, प्रदूषण और खर्च आम जनता के लिए रोज़ाना की बड़ी मुसीबत बन गए हैं।

