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सिंचाई विभाग में बड़ा खेल: बांधों की मरम्मत में अनियमितताएं, जो नियम बनाए उस पर विवाद
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सिंचाई विभाग में बांधों की मरम्मत के टेंडर को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ठेकेदार की मनमानी रोकने के बजाय नए नियमों में उसे संरक्षण देने का आरोप है। यह खुलासा एमपाक्सी मोटर वर्क की टेंडर प्रक्रिया में सामने आया है जहां शिकायत के बावजूद काम खत्म होने तक ठेका रद्द न करने की अजीब शर्त रखी गई है। साथ ही कम थिकनेस वाले काम के लिए ज्यादा और ज्यादा थिकनेस वाले काम के लिए कम रेट तय किए गए हैं जिससे भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ गई है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के 108 बांधों की मरम्मत के लिए हर संभाग से टेंडर बुलाए जा रहे हैं। नए नियमों में बदलाव करते हुए कहा गया है कि अगर ठेकेदार घटिया काम करता है तो शिकायत होने पर भी उसी से काम पूरा कराया जाएगा। 5 एमएम थिकनेस के लिए 6383.3 रुपये प्रति वर्ग मीटर का रेट तय किया गया है जबकि 10 एमएम से कम का काम नहीं हो सकता। वहीं कोरबा बांगो बांधों के लिए 20 एमएम थिकनेस का रेट 4730 रुपये प्रति वर्ग मीटर तय किया गया है। आरंग के राजीव सम्बोदा निस्दा डायवर्सन आरएलएसएनडी के 10 एमएम थिकनेस के लिए 796 रुपये प्रति वर्ग मीटर का बीड अमाउंट रखा गया है। महाराष्ट्र में 20 एमएम थिकनेस के काम के लिए 4730 रुपये प्रति वर्ग मीटर का रेट है।
अवर सचिव प्रेम सिंह हरेंद्र ने बदले नियम
अवर सचिव प्रेम सिंह हरेंद्र की ओर से जारी टेंडर शर्तों के सर्कुलर के अनुसार यदि किसी ठेकेदार ने अपनी क्षमता या पूर्व में ब्लैकलिस्टेड होने की जानकारी छिपाई होगी और धोखे से टेंडर हासिल किया होगा तो भी टेंडर रद्द नहीं होगा। यह संशोधन विभाग में लंबित या विचाराधीन प्रकरणों पर भी लागू होगा। हालांकि अगर बाद में जानकारी झूठी पाई जाती है तो ईएमडी जब्त करने का प्रावधान है।
सालों से लटका बांगो डैम का टेंडर
विभाग में लंबित टेंडरों और उनकी शक्ति का उदाहरण बांगो डैम है जो 13 साल से बिना मरम्मत के चल रहा था। इसके टेंडर के लिए पिछले सात साल से प्रयास किए जा रहे थे लेकिन समय पर आदेश नहीं हो पाए। अब विभाग में टेंडर फॉर्म में दर्ज जानकारियों की बारीकी से जांच की जा रही है। फर्जी रजिस्ट्रेशन के प्रमाण मिलने पर 27 जून को टेंडर निरस्तीकरण का आदेश भी निकाला गया है।
सिंचाई मंत्री केदार कश्यप ने इस मामले पर कहा कि बांगी समाज और गरियाबंद आदि में एएसपी मॉनिटर वर्क कराने में बिड रेट में अंतर की शिकायत कुछ समय पहले आई है जिसकी जांच चल रही है। उन्होंने यह भी बताया कि जहां तक नियमों का सवाल है यदि निविदाकर्ता गलत जानकारी देता है तो उसे एक साल के लिए निविदा प्रपत्र से बाहर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को भी इस मामले की लिखित शिकायत भेजी गई है।
