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भू माफियाओं का षड्यंत्र एक जमीन को चार बार बेचा,2100 वर्गफुट भूमि दिखा कर बार बार बेची गई जमीन
मौके पर केवल 901 वर्ग फिट जमीन।।
बिलासपुर। बिलासपुर शहर में इन दोनों भूमि की अफरा तफरी और गुंडागर्दी बढ़ती जा रही है। ताजा मामला के तार भी जमीन अफरातफरी से जुड़े है। बिलासपुर शहर में टेलीफोन एक्सचेंज रोड क्षेत्र में जमीन धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें एक ही जमीन को चार बार अलग-अलग दस्तावेजों के माध्यम से बेचे जाने का आरोप लगा है। पीड़ित पक्ष ने इस पूरे प्रकरण में सावित्री देवी, उमेश कश्यप, सर्वेश कश्यप, अभय बरुआ और अभ्याश बिल्डकॉन पर गंभीर आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़ित ने वर्ष 2020 में खसरा नंबर 587/2 की 300 वर्गफुट भूमि व उस पर निर्मित दो शटर वाली दुकान का वैध विक्रय पत्र के माध्यम से क्रय किया था। लेकिन उसी भूमि को अलग-अलग खसरों व गलत चौहद्दियों के आधार पर कुल चार बार अलग-अलग लोगों के नाम रजिस्ट्री कर दी गई, जिससे कुल 2100 वर्गफुट भूमि का फर्जी रूप से विक्रय दिखाया गया, जबकि मौके पर मात्र 901 वर्गफुट भूमि ही उपलब्ध है।
जमीन के सीमांकन के दौरान अभय बरुआ की बदसलूकी
दिनांक 3 जून को राजस्व विभाग द्वारा सीमांकन की कार्यवाही की गई थी, जिसमें पुलिस बल भी उपस्थित था। सीमांकन के दौरान अभय बरुआ ने राजस्व अधिकारियों और पुलिस टीम के सामने अभद्रता और धमकी भरे शब्दों का प्रयोग किया, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इससे पीड़ित और अन्य स्थानीय नागरिकों में गहरा रोष है।
पूर्व से दर्ज हैं केस, लेकिन नहीं होती कार्रवाई
आरोपी अभय बरुआ एक जाना-माना हिस्ट्रीशीटर है, जिसके विरुद्ध पूर्व में भी कई आपराधिक मामले स्थानीय थानों में दर्ज हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उसकी राजनीतिक पहुंच के कारण पुलिस बार-बार उसे संरक्षण देती रही है, जिसके चलते वह खुलेआम ऐसे अपराधों को अंजाम देता है।
आरोपितों के विरुद्ध दर्ज हो प्राथमिकी की मांग
पीड़ित ने पुलिस अधीक्षक बिलासपुर को शिकायती आवेदन सौंपते हुए उक्त लोगों के विरुद्ध IPC की धारा 420, 467, 468, 471, और 120B के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। आवेदन में कहा गया है कि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से बार-बार चौहद्दी में बदलाव कर दस्तावेज तैयार किए गए, जिससे फर्जी तरीके से भूमि बेची जा सके। इस पूरे मामले में अब तक कोई ठोस पुलिस कार्रवाई नहीं होना, राजस्व विभाग की भूमिका और प्रशासनिक चुप्पी को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। पीड़ित ने मांग की है कि इस भूमि घोटाले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए।
