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छत्तीसगढ़ PHE में डिप्लोमा बनाम डिग्री: उप अभियंता भर्ती में घमासान, सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर मामला…
छत्तीसगढ़ PHE में डिप्लोमा बनाम डिग्री: उप अभियंता भर्ती में घमासान, सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर मामला…
छत्तीसगढ़ PHE उप‑अभियांता भर्ती में डिप्लोमा बनाम डिग्री विवाद, हाई कोर्ट ने नियम को असंवैधानिक कर दिया, मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) में डिप्लोमा बनाम डिग्री को लेकर उप‑अभियंता भर्ती प्रक्रिया विवादों में घिर गई है, और मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। बिलासपुर उच्च न्यायालय ने भर्ती नियम को असंवैधानिक करार देते हुए बी.ई. डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को अंतिम समय में आवेदन करने का मौका दिया। यह फैसला डिग्री धारकों के पक्ष में माना जा रहा है, क्योंकि कोर्ट ने कहा कि केवल डिप्लोमा रखने वालों को पात्र मानना अनुचित भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14, 16, और 21 का उल्लंघन करता है।
क्या है मामला?
PHE विभाग द्वारा निकाले गए 118 पदों के लिए जारी भर्ती विज्ञापन में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता तीन वर्षीय डिप्लोमा निर्धारित की गई थी। विभागीय शर्तों के अनुसार, यह पद "उप अभियंता" (Junior Engineer) का था, जो लंबे समय से डिप्लोमा धारकों के लिए आरक्षित माने जाते हैं। हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया का डिग्री धारकों द्वारा विरोध किया गया और उन्होंने इसे लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने डिग्री धारकों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे भर्ती प्रक्रिया पर अनिश्चितता का माहौल बन गया।
डिप्लोमा धारकों ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
डिप्लोमा धारक अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उनका तर्क है कि देश के कई प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों जैसे ISRO, DRDO और PSU में उप अभियंता पद के लिए डिप्लोमा ही मान्य योग्यता मानी जाती है। उनका यह भी कहना है कि अगर पद "जूनियर इंजीनियर" का है, तो उसी के अनुसार शैक्षणिक अर्हता निर्धारित होनी चाहिए।
भर्ती के बीच नियम नहीं बदल सकते: सुप्रीम कोर्ट का पुराना निर्णय
डिप्लोमा अभ्यर्थियों ने अपनी याचिका में 7 नवम्बर 2024 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले का हवाला भी दिया है, जिसमें कहा गया था कि "भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता'। इस आधार पर डिप्लोमा धारक अभ्यर्थी हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दे रहे हैं।
भविष्य की भर्तियों पर भी पड़ेगा असर
यह मामला केवल एक भर्ती तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय तकनीकी भर्तियों की भविष्य की नीतियों और योग्यता निर्धारण के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में देखा जाएगा।
तकनीकी छात्रों और डिप्लोमा धारकों का कहना है कि यदि इस तरह पद की प्रकृति को अनदेखा कर उच्च योग्यता वालों को प्राथमिकता दी जाएगी, तो डिप्लोमा की उपयोगिता ही खत्म हो जाएगी। वहीं डिग्री धारक तर्क दे रहे हैं कि यदि वे अधिक योग्य हैं तो उन्हें वरीयता मिलनी चाहिए। PHE की यह भर्ती अब तकनीकी शिक्षा के स्तर पर एक गंभीर बहस का विषय बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय न केवल इस भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करेगा, बल्कि राज्य और देशभर की भविष्य की तकनीकी भर्तियों की दिशा भी तय करेगा।
