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कस्टम मिलिंग घोटाले में बड़ा खुलासा: EOW ने दाखिल की 1500 पन्नों की चार्जशीट, अनवर ढेबर-टुटेजा पर शिकंजा!
रायपुर: छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले की परतें अब तेजी से खुलने लगी हैं। राज्य की सबसे बड़ी आर्थिक धांधलियों में से एक माने जा रहे इस मामले में EOW ने अदालत में करीब 1500 पन्नों की चार्जशीट दायर कर दी है, जिसमें राज्य के रसूखदार नामों अनवर ढेबर और पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा को सीधे तौर पर आरोपी बनाया गया है।
कस्टम मिलिंग घोटाला क्या है?
बता दें कि कस्टम मिलिंग घोटाला मामले में ED ने मार्कफेड के पूर्व MD मनोज सोनी सहित 5 पर FIR दर्ज कराई है. आरोप है कि 140 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध वसूली की गई. इसमें अफसरों से लेकर मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तक शामिल हैं. वहीं अलग-अलग राइस मिलर्स के द्वारा नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई में कस्टम मिलिंग का चावल जमा किया जाता है. इस प्रकिया में भ्रष्टाचार कर प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध राशि की वसूली की गई. जांच में पता चला है कि एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर लेवी वसूलते और अफसरों को जानकारी देते. जिनसे रुपए नहीं मिलते उनका भुगतान रोक दिया जाता.
जनवरी 2024 को EOW ने दर्ज की FIR
ईडी (ED) के सनसनीखेज खुलासों के बाद, आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने 29 जनवरी 2024 को कस्टम मिलिंग घोटाले में पहली FIR दर्ज की। इस मामले में जिन प्रमुख नामों को आरोपी बनाया गया है, उनमें रिटायर्ड सीनियर IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, रोशन चंद्राकर, प्रीतिका, एजाज ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया और रामगोपाल अग्रवाल शामिल हैं। EOW की जांच में सामने आया कि मिलर्स को भुगतान के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की गई। 2020-21 से पहले प्रति क्विंटल कस्टम मिलिंग पर मिलर्स को 40 रुपये का भुगतान होता था, जिसे कांग्रेस सरकार ने तीन गुना तक बढ़ा दिया था। इसी दर वृद्धि की आड़ में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।
