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रेत के कारोबार में शराब लॉबी की एंट्री से बेलगाम दोहन, बढ़े दाम और अपराध
ठेका समाप्त होने के बाद भी जारी है अवैध खनन, घाटों पर सिंडीकेट का कब्जा
बिलासपुर। जिले के रेत घाटों में इन दिनों बेतहाशा खनन, लगातार बढ़ती कीमतें और बढ़ते अपराधों ने हालात गंभीर बना दिए हैं। इन सबके पीछे शराब लॉबी की दखल को जिम्मेदार माना जा रहा है। शराब ठेके की मियाद खत्म होने के बाद मुनाफे की तलाश में उतरी इस लॉबी ने रेत के कारोबार को अपने कब्जे में ले लिया है। इसके बाद न केवल घाटों में अंधाधुंध खुदाई शुरू हुई, बल्कि रेत के दाम भी दोगुने हो गए।
जानकारी के अनुसार, 2019 में कांग्रेस सरकार द्वारा पूरे छत्तीसगढ़ में रेत घाटों की नीलामी शुरू की गई थी। बिलासपुर जिले में 22 घाटों के लिए 1600 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए। स्थानीय चर्चा रही कि शराब व्यवसाय से जुड़े रसूखदारों ने अपने लोगों के नाम पर सैकड़ों फॉर्म भरवाए और ठेका भी उन्हीं को मिला। इसके बाद रेत का दाम जो पहले 800 से 1000 रुपए प्रति ट्रैक्टर था, वह बढ़कर 2000 रुपए तक पहुंच गया।

खनन का यह धंधा सिर्फ घाटों तक सीमित नहीं रहा। जिनके पास एक घाट का ठेका था, उन्होंने पास के अन्य घाटों में भी अंधाधुंध खुदाई शुरू कर दी। मसलन, मंगला घाट का ठेकेदार कोनी और लोखंडी घाटों से अवैध खनन में लिप्त पाया गया। वहीं घुटकू घाट में तो कछार और लोफंदी घाटों से इतनी खुदाई की गई कि जमीन दिखने लगी। कई जगह तो श्मशान घाटों तक को नहीं छोड़ा गया।
इस अवैध खनन से अपराध भी तेजी से बढ़े हैं। 2021 में कोनी क्षेत्र में एक ही माह में दो हत्याएं हुईं। मृतकों में एक सत्येंद्र सिंह, घाट का अवैध मुंशी था। हाल ही में लमेर घाट पर पिस्टल चलने की घटना भी सामने आई। क्षेत्रीय लोगों में भय और असंतोष का माहौल है।
खनिज विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। आरोप हैं कि विभाग की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार अब भी जारी है। कई ठेके खत्म हो चुके हैं, इसके बावजूद घाटों से रेत निकालना बंद नहीं हुआ।
फिलहाल जिले में पांच घाट—उदईबंद, अमलडीहा, लक्षनपुर, करही कछार और सोढ़ाखुर्द वैध रूप से संचालित हैं। वहीं कछार और लोफंदी जैसे बड़े घाटों के लिए जन सुनवाई की तारीख तय होने की बात कही जा रही है। इनसे रेत की उपलब्धता तो बढ़ेगी, लेकिन कीमतों में गिरावट की संभावना कम है, क्योंकि माफिया नहीं चाहते कि उनका मुनाफा घटे।
स्थानीय जनता और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सवाल यह है कि क्या रेत माफिया पर लगाम लगेगी या फिर अवैध खनन ऐसे ही बेलगाम चलता रहेगा?
