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एक ही खसरे पर अलग-अलग रकबा दिखाकर 4 करोड़ की गड़बड़ी, केवल एक राजस्व निरीक्षक पर हुई कार्रवाई बाकी?
बिलासपुर। बिलासपुर की बहुचर्चित अरपा-भैंसाझार परियोजना में मुआवजा वितरण में लगभग 4 करोड़ रुपये की बड़ी अनियमितता का मामले में एक ही खसरे का अलग-अलग रकबा दर्शाकर मुआवजा बांटने की इस धांधली में करीब 10 अधिकारी दोषी पाए गए थे, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि दिखावे के लिए केवल एक राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब इस पूरे प्रकरण की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को सौंपी गई है। जल संसाधन विभाग के अवर सचिव ने इस संबंध में सीई जल संसाधन विभाग को पत्र भी लिखा है।
अरपा-भैंसाझार परियोजना, जिसकी प्रारंभिक लागत 606 करोड़ रुपये थी, विलंब और अन्य कारणों से बढ़कर अब 1141.90 करोड़ रुपये हो गई है। परियोजना के तहत 370.55 किलोमीटर नहर का निर्माण होना था, लेकिन वर्तमान में केवल 229.46 किलोमीटर नहर ही बन पाई है। इस पूरे घोटाले में राजस्व और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। आरोप है कि कुछ खास लोगों को करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के लिए नहर का एलाइनमेंट कागजों में बदल दिया गया। तय जगह से तकरीबन 200 मीटर नहर को आगे खिसका दिया गया, जबकि उन लोगों की जमीन दूर-दूर तक नहर निर्माण के दायरे में नहीं आती थी। पटवारी ने फर्जी भू-अर्जन प्रकरण बनाया और भू-अर्जन अधिकारी ने करोड़ों का मुआवजा भी दे दिया।
पिछली सरकार के दौरान जब विधानसभा में यह मामला उठा था, तब बताया गया था कि इस परियोजना में मुआवजा बांटने के बहाने 3.42 करोड़ रुपये का घोटाला कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। हालांकि, तब दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इसके बाद कलेक्टर अवनीश शरण ने दोबारा जांच टीम गठित की, जिसमें पुष्टि हुई कि तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और भू-अर्जन अधिकारी कोटा को भू-अर्जन प्रकरण में एक खसरे का चार अलग-अलग रकबा दर्शाते हुए विरोधाभासी प्रतिवेदन दिया था। बटांकित खसरा नंबरों को बिना सक्षम अधिकारी के आदेश के बगैर ही मर्ज कर दिया गया था।
सूत्रों के अनुसार, मामले के दोषी अधिकारी और ठेकेदार, जो कथित तौर पर फर्जी मुआवजा लेने वाले अग्रवाल बंधु और एक डॉक्टर परिवार से संबंधित हैं, यह अफवाह फैला रहे हैं कि विधानसभा में प्रश्न उठाने वालों को 'मैनेज' कर लिया गया है। अब देखने वाली बात होगी कि EOW और ACB इस मामले में क्या ठोस कार्रवाई करती हैं, क्योंकि दोषी तो यह कहते फिर रहे हैं कि वे किसी को भी 'मैनेज' कर लें
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