अरपा भैंसाझार नहर घोटाला क्लीन चिट की सियासत में फंसा न्याय 11 दोषी कार्रवाई सिर्फ 3 पर

करोड़ों के मुआवजे में गड़बड़ी के बाद भी जल संसाधन विभाग के अफसरों को प्रमोशन सवाल उठना लाजिमी

बिलासपुर छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित अरपा भैंसाझार नहर परियोजना में सामने आए मुआवजा घोटाले की परतें अब एक एक करके खुलने लगी हैं लेकिन न्याय की राह में रोड़े नजर आ रहे हैं जांच रिपोर्ट में जल संसाधन और राजस्व विभाग के कुल 11 अफसरों कर्मचारियों को सीधे तौर पर दोषी पाया गया है चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर मामले में कार्रवाई केवल राजस्व विभाग के तीन कर्मचारियों तक ही सीमित रही जबकि घोटाले में संलिप्त जल संसाधन विभाग के कई अधिकारियों को प्रमोशन और मनचाही पोस्टिंग का इनाम मिल गया है यह कार्रवाई चयनित होने के आरोपों को और मजबूत करती है

जमीन पत्रक बना घोटाले की जड़

इस पूरे घोटाले की जड़ वह जमीन पत्रक है जिसे जल संसाधन और राजस्व विभाग की साझा टीम ने मिलकर तैयार किया था चकरभाठा वितरक नहर के लिए यह पत्रक बनाते समय ही बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं इसमें खसरा नंबरों का गलत बंटवारा नहर की जद में आने वाली जमीन का फर्जी सर्वे और लाल स्याही से की गई हेराफेरी मुख्य रूप से शामिल हैं यह दर्शाता है कि गड़बड़ी सुनियोजित तरीके से की गई थी

Read More साय सरकार ने जमीन गाइडलाइन दरों पर जारी किया नया आदेश.. तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश

जिन्होंने गड़बड़ी की वे अब भी पद पर

Read More रेलवे कर्मचारियों की रीलों पर थमा ब्रेक, ड्यूटी टाइम में सोशल मीडिया पूरी तरह बैन, अब होगी सख्त कार्रवाई

घोटाले में सीधी संलिप्तता के बावजूद जल संसाधन विभाग के तत्कालीन SDO कोटा आर पी द्विवेदी SDO तखतपुर अशोक तिवारी और सब इंजीनियर आर के राजपूत ये सभी इस जमीन पत्रक निर्माण में शामिल थे अब भी महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ हैं वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग के पटवारी दिलशाद अहमद और पूर्व एसडीएम आनंदरूप तिवारी को निलंबित कर दिया गया जबकि RI मुकेश साहू को तो सीधे बर्खास्त ही कर दिया गया है यह असमान कार्रवाई सरकारी विभागों में जवाबदेही के मानकों पर गंभीर सवाल खड़े करती है

कलेक्टर की जांच रिपोर्ट भी हुई नजरअंदाज

जिला प्रशासन द्वारा की गई जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि अवार्ड पारित करते समय भू अर्जन की अनिवार्य प्रक्रियाएं जैसे धारा 11 और 19 का पालन ही नहीं किया गया जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि नक्शों में लाल स्याही से मनमाने तरीके से नहर का सीमांकन किया गया और उसी के आधार पर करोड़ों का मुआवजा बांट दिया गया यह रिपोर्ट भी अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करती है

वसूली भी अधूरी कार्रवाई भी अधूरी

इस पूरे घोटाले में 10.86 करोड़ रुपये की बड़ी गड़बड़ी साबित हुई है लेकिन विडंबना यह है कि अब तक ना तो पूरी वसूली हो पाई है और ना ही सभी दोषियों पर उचित कार्रवाई तीन साल में यह तीसरी बार है जब इस मामले में कार्रवाई की गई है लेकिन हर बार सिर्फ कुछ गिने चुने लोगों पर ही गाज गिरी है जिससे यह चयनित कार्रवाई का मामला प्रतीत होता है।

 एक को क्लीन चिट क्यों

सबसे बड़ा सवाल पूर्व एसडीएम कीर्तिमान राठौर को मिली क्लीन चिट पर उठ रहा है उन्हें भी इस घोटाले में दोषी माना गया था लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने 10 मार्च 2025 के आदेश में उनका नाम क्लीन चिट देकर बाहर कर दिया विभाग ने उनके नोटिस का जवाब संतोषजनक मानते हुए दो साल बाद मामला बंद कर दिया जब 11 आरोपी थे तो एक को विशेष क्लीन चिट क्यों दी गई यह बात गले नहीं उतरती

सुलगते सवाल जो सबको खटक रहे 

1..जब जमीन पत्रक बनाने की जिम्मेदारी जल संसाधन और राजस्व विभाग दोनों की साझा थी तो सिर्फ राजस्व विभाग पर ही कठोर कार्रवाई क्यों की गई

 2...जल संसाधन विभाग के दोषी अधिकारियों को प्रमोशन और महत्वपूर्ण पोस्टिंग कैसे मिल रही है

 3...करोड़ों की गड़बड़ी के बाद भी अब तक पूरी वसूली क्यों नहीं हो पाई और क्या अन्य दोषियों पर भी कार्रवाई होगी

4...अरपा भैंसाझार नहर मुआवजा घोटाले में जवाबदेही पारदर्शिता और न्याय की मांग अब भी अधूरी है और क्लीन चिट की यह सियासत जनमानस में विश्वास को और कम कर रही है क्या सरकार इस मामले में पूरी सच्चाई सामने लाएगी

लेखक के विषय में

More News

वन्यजीवों के लिए खतरे की घंटी: बाघ की संदिग्ध मौत, जांच जारी

राज्य