नकली होलोग्राम से शराब सप्लाई करने वाले डिस्लरी मालिकों और ढाई करोड़ रुपए हर महीने रिश्वत लेने वाले 20 अधिकारीयों पर आखिर मेहरबानी क्यों?

नकली होलोग्राम से शराब सप्लाई करने वाले डिस्लरी मालिकों और ढाई करोड़ रुपए हर महीने रिश्वत लेने वाले 20 अधिकारीयों पर आखिर मेहरबानी क्यों? रायपुर : पूर्ववर्ती कांग्रेस के भूपेश बघेल सरकार में हुए 2200करोड के शराब घोटाले में किए गए नकली होलोग्राम से घोटाले में अब जब शराब घोटाले की सच्चाई और सबूत सबके […]

नकली होलोग्राम से शराब सप्लाई करने वाले डिस्लरी मालिकों और ढाई करोड़ रुपए हर महीने रिश्वत लेने वाले 20 अधिकारीयों पर आखिर मेहरबानी क्यों?

रायपुर : पूर्ववर्ती कांग्रेस के भूपेश बघेल सरकार में हुए 2200करोड के शराब घोटाले में किए गए नकली होलोग्राम से घोटाले में अब जब शराब घोटाले की सच्चाई और सबूत सबके सामने आ गया है कि नकली होलोग्राम से पुरे राज्य में संचालित हो रहे शराब दुकानों में डिस्टलरी मालिकों के माध्यम से सप्लाई किया जाता रहा है। तो इन सप्लायर डिस्टलरी मालिकों मेसर्स छत्तीसगढ़ डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड के नवीन केडिया, एवं उसके साथी मेसर्स भाटिया वाइन , एवं मर्चेंन्टस प्राइवेट लिमिटेड के भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया तथा वेलकम डिस्टलरीज के मालिक राजेन्द्र जायसवाल, के खिलाफ आखिर सरकार ,एसीबी, ईओडब्ल्यू,ईडी के द्वारा इनके खिलाफ कार्यवाही करने और इनकी गिरफ्तारी करने के बजाय इनके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों आखिर क्या वजह है कौन है इनके ऊपर मेहरबान राज्य सरकार या फिर केन्द्र सरकार कौन बचा रहा है इन्हें ये भी उतना ही दोषी है जितना नकली होलोग्राम बनाने और बनवाने वाले दोषी है क्योंकि ये लोग नकली होलोग्राम से शराब की सप्लाई करते थे। छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है इनके ऊपर कार्यवाही कब होगी।

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पूर्ववर्ती कांग्रेस के भूपेश बघेल सरकार में जिला के 20 आबकारी अधिकारियों ने जमकर काटी चांदी

पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार में हुए 2,500 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में आबकारी विभाग के अधिकारियों ने जमकर चांदी काटी है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की ओर से एक जुलाई को पेश आरोप पत्र के अनुसार 15 जिलों में पदस्थ रहे 20 अधिकारियों को प्रतिमाह 2.40 करोड़ की रिश्वत दी जाती थी, जो कि अब भी महत्वपूर्ण पदों पर बने हुए हैं। इस हिसाब से चार साल में 115 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई अफसरों ने की है। आरोप पत्र में उल्लेख किया गया है कि 2,880 रुपये की एमआरपी पर बेची जाने वाली मदिरा का सिंडीकेट ने दाम बढ़ाकर 3,840 रुपये कर दिया। इसमें सप्लायरों को 560-600 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से भुगतान किया जाता था। chhattisgarh नकली होलोग्राम वाली बोतलों की प्रत्येक पेटी से 150 रुपये का कमीशन इन्हीं 20 अफसरों को दिया जाता था। बाकी राशि अनवर ढेबर अपने पास रखता था और इसका 15% कमीशन अनिल टुटेजा और एपी त्रिपाठी को दिया जाता था। यह खेल 2019-20 में शुरू हुआ और 2022-23 तक चला। चार साल तक शासकीय खजाने को क्षति पहुंचाने के साथ ही पूरे सिंडीकेट की भी जेब गरम की गई थी। ईओडब्ल्यू के आरोप पत्र में कहा गया है कि शराब घोटाले में उप्र की मेरठ जेल में बंद एपी त्रिपाठी द्वारा पूरा सिंडिकेट बनाया गया था, जिसने सभी 15 जिलों के आबकारी अधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें पूरी व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। साथ ही इसमें आने वाली कठिनाइयों और इसके निदान के लिए भी मार्गदर्शन किया और सभी की हिस्सेदारी तय की गई।

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