क्या खाद्य निरीक्षक का मोबाइल घोटाले के पैसे का  था?

क्या खाद्य निरीक्षक का मोबाइल घोटाले के पैसे का था? रायपुर : कांकेर में बड़ा हल्ला मचा। फ़ूड इंस्पेक्टर के पास डेढ़ लाख का मोबाइल! वह भी बांध में गिर गया। गिर गया सो गिर गया लेकिन मोबाइल निकालने के लिए एन गर्मी के मौसम में 41104 क्यूबिक मीटर पानी खाली करा देना सचमुच डेयर […]

क्या खाद्य निरीक्षक का मोबाइल घोटाले के पैसे का था?


रायपुर : कांकेर में बड़ा हल्ला मचा। फ़ूड इंस्पेक्टर के पास डेढ़ लाख का मोबाइल! वह भी बांध में गिर गया। गिर गया सो गिर गया लेकिन मोबाइल निकालने के लिए एन गर्मी के मौसम में 41104 क्यूबिक मीटर पानी खाली करा देना सचमुच डेयर डेविल काम है।


पानी निकालने से बड़ी बात डेढ़ लाख रुपये के मोबाइल का होना है। कांकेर की कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला के पास भी इतना महंगा मोबाइल नही होगा। प्रश्न ये भी उठ रहा है कि क्या प्रदेश में हुए 254 करोड़ रुपये के चाँवल बचत घोटाले से इस घटना का कोई लेना देना है?
छत्तीसगढ़ विधानसभा से लेकर केंद्रीय खाद्य मंत्रालय तक राशनदुकानो से बचत चाँवल के बावजूद पांच पांच महीने का कोटा देने की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली से दो दफा जांच दल रायपुर उतर चुका है।
घोटाले पर पर्दा डालने के लिए कागजी कार्यवाही भी चल रही है। हाल ही में फ़ूड आफिस के डायरेक्टर ने फरमान निकाला। अपने मातहतों को लगा दिया जांच करने के लिए। कांकेर में जांच के लिए एडिशनल डायरेक्टर को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
डेढ़ लाख के मोबाइल से साफ है कि फूड इंस्पेक्टर राशनदुकानो में दुकानदारों से मिलकर बड़े स्तर के अधिकारियों के लिए व्यवस्था कर रहे है। ये भी जांच का विषय होना चाहिए कि कांकेर के फूड इंस्पेक्टर ने डेढ़ लाख रुपये का मोबाइल खुद के लिए खरीदा था या किसी औऱ के लिए।
ये भी जांच का विषय है कि कांकेर जिले के कितने राशनदुकानो से कितना चाँवल गायब है और इसकी जिम्मेदारी किसकी है।कलेक्टर कांकेर द्वारा पखांजूर में पदस्थ जल संसाधन विभाग के अनुविभागीय अधिकारी श्री आर.सी. धीवर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 24 घंटे के भीतर जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है।

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नोटिस में उल्लेख किया गया है कि खाद्य निरीक्षक पखांजूर श्री राजेश विश्वास ने मीडिया में दिए गए अपने वक्तव्य में कहा है कि उन्हें मोबाइल ढूंढने के लिए परलकोट जलाशय से लाखों लीटर पानी खाली करने के लिए आपके द्वारा मौखिक अनुमति दी गई है। उच्चाधिकारियों से अनुमति प्राप्त किए बिना परलकोट जलाशय से लाखों लीटर पानी व्यर्थ बहा देने की मौखिक अनुमति देना कदाचरण की श्रेणी में आता है जो छत्तीसगढ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1965 के प्रावधानों के विपरीत है। उक्त कृत्य के लिए क्यों न आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। समयावधि में एवं समाधानकारक जवाब प्रस्तुत नहीं किए जाने पर अनुविभागीय अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित की जाएगी

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साथ ही उक्त खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास को कलेक्टर प्रियंका शुक्ला ने निलंबित कर दिया है। उक्त कृत्य को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी एक ट्वीट किया है।

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