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छत्तीसगढ़ की CAG रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खुलासा: 33.63 करोड़ की दवाएं एक्सपायर, 49.68 करोड़ के उपकरण अनुपयोगी

रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर कैग (CAG) रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मार्च 2022 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए तैयार की गई इस रिपोर्ट में 2016 से 2022 तक की अवधि में स्वास्थ्य विभाग की कई गंभीर खामियां पाई गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस निगम […]
रायपुर: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर कैग (CAG) रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मार्च 2022 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए तैयार की गई इस रिपोर्ट में 2016 से 2022 तक की अवधि में स्वास्थ्य विभाग की कई गंभीर खामियां पाई गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस निगम लिमिटेड (CGMSCL) की लापरवाही के कारण 33.63 करोड़ रुपये की दवाएं एक्सपायर हो गईं। इसके अलावा 49.68 करोड़ रुपये के चिकित्सा उपकरण भी अनुपयोगी पड़े हैं।
घटिया दवाओं की सप्लाई पर कार्रवाई में कमी
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि घटिया दवाओं की सप्लाई करने वाली कंपनियों से न तो गुणवत्ता वाली दवाएं ली गईं और न ही उन पर 1.69 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। इसके अलावा, इन कंपनियों से 24.60 लाख रुपये का डैमेज शुल्क भी नहीं लिया गया। यह भी बताया गया कि क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया, जिससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
लोकल पर्चेज के माध्यम से महंगी खरीदी
CGMSCL की सेंट्रल एजेंसी होने के बावजूद, 27 से 50.65 प्रतिशत खरीद लोकल पर्चेज के माध्यम से करनी पड़ी। इसका कारण यह है कि समय पर निविदाएं फाइनल नहीं हो सकीं। रिपोर्ट में बताया गया कि 278 निविदाएं निकाली गईं, लेकिन इनमें से 165 टेंडर तीन से 694 दिनों तक फाइनल नहीं हो पाए। इससे समय पर सप्लाई नहीं हो सकी और सरकार को महंगे दामों पर लोकल पर्चेज करना पड़ा।
बिना अनुशंसा के दवाओं की खरीदी
कोरोना काल के दौरान बिना अनुशंसा के 23.13 करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी गईं। इसके अलावा, 24 करोड़ रुपये की दवाएं ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से खरीदी गईं। इस तरह की लापरवाही ने राज्य के स्वास्थ्य बजट पर भारी बोझ डाल दिया।
विशेषज्ञ डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी
कैग रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 23 जिला अस्पतालों में 33 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। पैरामेडिकल स्टाफ भी 13 प्रतिशत तक कम है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में स्थिति और भी खराब है, जहां 72 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। नर्सों की 32 प्रतिशत और पैरामेडिकल स्टाफ की 36 प्रतिशत कमी है।
मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी
राज्य के कई सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी है। इसके चलते कई विभाग आठ-आठ साल से शुरू नहीं हो पाए हैं। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में कैंसर यूनिट शुरू नहीं हो सकी है। इसी तरह, राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के कारण हृदयरोग विज्ञान और न्यूरोलॉजी विभाग का ओपीडी शुरू नहीं हो पाया है।