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भारतीय सेना की निगरानी क्षमताओं को मिला नया आयाम, रोबोटिक म्यूल' बना नया साथी, चीन-पाक सीमा पर तैनात, जानें क्या है खासियत
नई दिल्ली: भारतीय सेना अब आधुनिक टेक्नोलॉजी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी कड़ी में अब सीमा की निगरानी और ऑपरेशंस को और ताकतवर बनाने के लिए एक खास मशीन शामिल की गई है जिसे नाम दिया गया है ‘रोबोटिक म्यूल’. यह कोई आम मशीन नहीं बल्कि एक ऐसा रोबोट है जो बिना किसी मानव सहायता के निगरानी करने, दुश्मनों की पहचान करने और ज़रूरत पड़ने पर उन पर हमला करने की क्षमता रखता है। अब यह स्वचालित सैनिक चीन और पाकिस्तान जैसी संवेदनशील सीमाओं पर सेना के साथ सक्रिय है. यह न केवल दुर्गम इलाकों में पहुंच सकता है बल्कि गोपनीय सैन्य मिशनों में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है.
इस रोबोटिक म्यूल में कई तरह के हथियार फिट किए जा सकते हैं जैसे AK-47, इंसास, LMG, स्नाइपर राइफल या टेवौर. इसके अलावा यह 12 से 15 किलोग्राम तक का सैन्य पेलोड उठाकर ले जा सकता है जिससे यह लॉजिस्टिक सपोर्ट में भी मददगार बनता है.
यह रोबोट ना सिर्फ समतल रास्तों पर बल्कि पहाड़ी, रेतीले, बर्फ से ढके क्षेत्रों और सीढ़ियों पर भी आसानी से चल सकता है. इसकी खासियत यह भी है कि यह पानी में चलने और छोटे नालों को पार करने में सक्षम है. यह लगातार 3.5 घंटे तक 18 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है और सिर्फ एक घंटे में फुल चार्ज हो जाता है. इसकी बैटरी 21 घंटे तक चलने की क्षमता रखती है, जो इसे लंबे मिशनों के लिए आदर्श बनाती है.
इस म्यूल में 5 थर्मल कैमरे और कई एडवांस सेंसर लगे हुए हैं. इसकी निगरानी क्षमता 360 डिग्री तक फैली हुई है. इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स और इन्फ्रारेड तकनीक है, जो दुश्मन या किसी भी वस्तु की पहचान में मदद करती है. वजन लगभग 51 किलोग्राम है. लंबाई 37.5 इंच, ऊंचाई 27 इंच और चौड़ाई 10 इंच है यानी काफी कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल.
सबसे बड़ी बात यह है कि अब सेना को बेहद खतरनाक क्षेत्रों में जवानों को भेजने की जरूरत कम होगी. रोबोटिक म्यूल इन दुर्गम इलाकों में जाकर दुश्मन की स्थिति की सटीक जानकारी दे सकता है और कार्रवाई भी कर सकता है. इससे जवानों की जान जोखिम में डालने की जरूरत नहीं रहेगी.
