तेलंगाना फोन टैपिंग कांड: बीआरएस सरकार ने ब्यूरोक्रेट्स, नेता पत्रकारों सहित 600 से ज्यादा लोगों की जासूसी कराई 

तेलंगाना में 2023 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए सनसनीखेज फोन टैपिंग कांड ने तूल पकड़ लिया है। हैदराबाद पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के दौरान विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) ने करीब 600 से ज्यादा लोगों के फोन अवैध रूप से टैप किए थे। इस मामले ने निजता के उल्लंघन और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। जांच के खुलासे के बाद इस मामले ने न केवल बीआरएस को घेरा है, बल्कि कांग्रेस और बीजेपी ने भी अपनी-अपनी तरह से मोर्चा खोल दिया है।

जांच में हुए चौंकाने वाले खुलासे

हैदराबाद पुलिस की विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के अनुसार, 15 नवंबर से 30 नवंबर 2023 के बीच एसआईबी की विशेष ऑपरेशन टीम (एसओटी) ने बड़े पैमाने पर फोन टैपिंग की थी। इस दौरान बीएसएनएल, वोडाफोन और जियो जैसे नेटवर्क पर लगभग 4500 फोन एक साथ निगरानी में थे। टैपिंग का जाल इतना बड़ा था कि इसमें वर्तमान मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी, कांग्रेस और बीजेपी के कई नेताओं के साथ-साथ बीआरएस की नेत्री के कविता भी शामिल थीं। सिर्फ राजनेता ही नहीं, बल्कि कई पत्रकार, चुनाव विश्लेषक, नौकरशाह, आईएएस आईपीएस अधिकारी और यहां तक कि हाईकोर्ट के जजों के फोन भी निगरानी में थे। जांच में यह भी सामने आया कि टैपिंग की शुरुआत 2018-19 में ही हो चुकी थी, लेकिन 2023 चुनाव के समय यह अपने चरम पर पहुंच गई थी।

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 बीआरएस का पलटवार

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इस मामले में पूर्व एसआईबी प्रमुख टी प्रभाकर राव मुख्य आरोपी हैं, जिनकी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। मार्च 2024 में एसआईबी के निलंबित डीएसपी प्रणीत राव समेत चार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई। इन पर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने और अवैध टैपिंग के आरोप लगे थे।इस पर बीआरएस ने इसे कांग्रेस सरकार द्वारा उनकी छवि खराब करने की साजिश बताया है। बीआरएस एमएलसी श्रवण कुमार दासोजू का कहना है कि यदि टैपिंग हुई भी है तो वह कानूनी रूप से उच्चस्तरीय समिति की अनुमति से हुई होगी और इसमें बीआरएस का कोई हाथ नहीं है। वहीं दूसरी तरफ, बीआरएस विधायक पदी कौशिक रेड्डी ने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर ही फोन टैपिंग के आरोप लगाए हैं। कौशिक ने दावा किया कि रेवंत रेड्डी ने कई महिला सेलिब्रिटीज और मंत्रियों के फोन टैप कराए और इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए किया। उन्होंने इस मामले की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की है।

सीबीआई जांच की मांग

जांच दल के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एसआईबी की टीम हर छह महीने में रिकॉर्ड नष्ट कर देती थी, जिससे सबूत जुटाना मुश्किल हो रहा है। इसके बावजूद, पुलिस इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और अन्य साक्ष्यों के आधार पर जांच को आगे बढ़ा रही है। इस मामले को लेकर बीजेपी ने जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है, क्योंकि उनका मानना है कि इस कांड में शामिल बड़ी राजनीतिक हस्तियों को अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया है। फोन टैपिंग कांड ने न केवल तेलंगाना की राजनीति को गरमा दिया है, बल्कि निजता के अधिकार और सरकारी तंत्र के दुरुपयोग जैसे गंभीर सवाल भी खड़े किए हैं। अब यह देखना बाकी है कि आगे की जांच में कितने और बड़े खुलासे होते हैं और कौन-कौन इसकी जद में आते हैं।

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