टेक्निकल यूनिवर्सिटी में पीएचडी फीस पर बड़ा बवाल: RBI गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई, रजिस्ट्रार पर वसूली का आरोप

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) में पीएचडी छात्रों से फीस वसूली को लेकर गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पर पीएचडी सेमिनार फीस के नाम पर अवैध वसूली का बड़ा आरोप लगा है। मिली रसीदों से खुलासा हुआ है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों का खुला उल्लंघन करते हुए 10 हजार रुपये से ज़्यादा की नकदी स्वीकार की जा रही है। इतना ही नहीं रसीदों पर सील-मोहर न होने और एक ही तारीख की दो रसीदों पर अलग-अलग रकम दर्ज होने से भ्रष्टाचार का संदेह और गहरा गया है।

 

मिली जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय में पिछले छह महीने से कोई नियमित कुलपति नहीं है। फिलहाल रजिस्ट्रार के भरोसे ही विश्वविद्यालय का पूरा कामकाज चलाया जा रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पीएचडी छात्रों से 6 महीने की 5 रिपोर्ट एक साथ जमा करने के लिए फीस ली गई है जो कि नियमानुसार गलत है।

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RBI नियमों की सीधी अनदेखी

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एक रसीद पर 10 हजार रुपये और दूसरी पर 25 हजार रुपये की रकम दर्ज है जबकि दोनों रसीदों की तारीख एक ही है और सीरियल नंबर 40049 व 40050 हैं। यह सीधे तौर पर RBI के उस दिशानिर्देश का उल्लंघन है जो 10 हजार रुपये से अधिक की नकदी स्वीकार करने पर रोक लगाता है।

फर्जी रसीदों से 'माल' बटोरने का आरोप

इन रसीदों पर कोई सील या मुहर नहीं लगी है जिससे यह आशंका प्रबल हो गई है कि ये रसीदें फर्जी हो सकती हैं और यह राशि विश्वविद्यालय के खाते में जमा ही नहीं कराई गई है। सूत्र बताते हैं कि रजिस्ट्रार इस मौके का फायदा उठाकर अवैध वसूली का खेल कर रहे हैं। कुलपति की नियुक्ति में हो रही देरी का फायदा उठाया जा रहा है।

विश्वविद्यालय में पिछले छह महीने से कुलपति का कार्यकाल खत्म हो चुका है लेकिन शासन और राज्यपाल ने अभी तक नए कुलपति की नियुक्ति नहीं की है। बताया जा रहा है कि पिछली नियुक्ति समिति को भी राज्यपाल ने भंग कर दिया है और जो नई समिति बनी है उसमें एक भी सदस्य तकनीकी क्षेत्र से नहीं है। इस अनावश्यक देरी का सीधा फायदा रजिस्ट्रार उठा रहे हैं।

गौरतलब है कि ऐसा ही एक मामला उद्यानिकी विश्वविद्यालय में भी सामने आया है जहां कुलपति की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। उसमें योग्यता और अनुभव को दरकिनार कर नियुक्ति का आरोप है जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ शासन से जवाब मांगा है। ऐसे में स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय में भी नियुक्ति प्रक्रिया और वित्तीय अनियमितताओं की गहन जांच की मांग उठ सकती है।

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