निजी स्कूलों को हाईकोर्ट से राहत, अब निजी प्रकाशकों की किताबें भी चला सकेंगे

बिलासपुर, छत्तीसगढ़: निजी प्रकाशकों के लिए अच्छी खबर है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को निजी प्रकाशकों की किताबें चलाने की सशर्त छूट दे दी है। हालांकि, यह छूट तभी मिलेगी जब स्कूल सीबीएसई द्वारा 12 अगस्त 2024 को जारी दिशा-निर्देशों का पालन करेंगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो राज्य सरकार उस पर कार्रवाई कर सकती है।

शिक्षा अधिकारियों के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

दरअसल, रायपुर, बिलासपुर सहित 11 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक सत्र 2025-2026 में सभी सरकारी और निजी स्कूलों को पहली से दसवीं कक्षा तक सिर्फ एनसीईआरटी और एससीईआरटी की ही किताबें पढ़ानी होंगी। इस आदेश का पालन न करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द करने की चेतावनी भी दी गई थी, जिससे निजी प्रकाशकों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया था।

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निजी प्रकाशकों को मिली उम्मीद

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जिला शिक्षा अधिकारियों के इस आदेश के खिलाफ, छत्तीसगढ़ निजी स्कूल प्रबंधन संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने इस आदेश को अवैध और अनुचित बताया। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि निजी स्कूलों को निजी प्रकाशनों की पाठ्यपुस्तकों और अन्य अध्ययन सामग्री खरीदने से रोका न जाए।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि केवल एनसीईआरटी और एससीईआरटी की किताबें खरीदने की शर्त सही नहीं है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए निजी स्कूलों को सशर्त छूट दी। यह फैसला निजी प्रकाशकों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया है, क्योंकि अब उनके पास अपने उत्पादों को स्कूलों तक पहुंचाने का रास्ता खुल गया है।

अब क्या होगा?

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद, निजी स्कूलों को अपनी किताबें चुनने में थोड़ी आजादी मिल गई है। वे सीबीएसई के नियमों के दायरे में रहकर निजी प्रकाशनों की किताबों का उपयोग कर सकेंगे। लेकिन उन्हें सरकारी एजेंसियों की नजर से बचकर रहना होगा, क्योंकि नियम तोड़ने पर राज्य सरकार कभी भी कार्रवाई कर सकती है। इस फैसले ने निजी प्रकाशकों को एक नई उम्मीद दी है, लेकिन उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि यह छूट सशर्त है।

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