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हाईकोर्ट की मुहर: जिला सहकारी बैंक के 110 कर्मचारियों की बर्खास्तगी सही, सिंगल बेंच का बहाली आदेश रद्द
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली से जुड़े सिंगल बेंच के फैसले को रद्द कर दिया है। इस आदेश से बैंक से निकाले गए 110 कर्मचारियों के लिए नौकरी पर वापसी का रास्ता फिलहाल बंद हो गया है। हालांकि, डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता 29 कर्मचारियों को थोड़ी राहत देते हुए बैंक प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वे इन कर्मचारियों की बात सुनकर तीन महीने के भीतर तय करें कि उन्हें दोबारा नौकरी दी जाए या नहीं।
दरअसल, पंकज तिवारी सहित अन्य ने अपने एडवोकेट के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें बताया कि याचिकाकर्ता पंकज कुमार तिवारी ने जिला सहकारी बैंक में समिति प्रबंधक पद के लिए आवेदन किया था। लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के बाद 14 फरवरी 2015 को उन्हें नियुक्ति पत्र मिला और 13 मार्च को उन्होंने पदभार ग्रहण किया।
शिकायत पर नोटिस देकर कर दी सेवा समाप्त
इस बीच दुर्गेश राजपूत नाम के युवक ने भर्ती में अनियमितता का आरोप लगाते हुए शिकायत कर दी। जिस पर जांच समिति बनी और रिपोर्ट के आधार पर बैंक प्रबंधन ने पंकज तिवारी समेत अन्य कर्मचारियों को नोटिस जारी कर 23 नवंबर 2015 को सेवा से हटा दिया।
सेवा समाप्ति के खिलाफ पंकज तिवारी ने पहले संयुक्त पंजीयक, सहकारी संस्थाएं रायपुर में अपील की, लेकिन 2019 में उनकी अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद राज्य सहकारी अधिकरण में भी अपील की गई, जो 2020 में निरस्त हो गई।
सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में की अपील
सिंगल बेंच के निर्णय के विरुद्ध बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और उस समय के प्राधिकृत अधिकारी सह जिला कलेक्टर ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में चुनौती दी। अपनी अपील में उन्होंने तर्क दिया कि वर्ष 2015 में की गई ये भर्तियां अनियमितताओं से भरी थीं। आरोप लगाया गया कि उचित चयन प्रक्रिया, परीक्षा और निर्धारित योग्यताओं का पालन किए बिना 'बैकडोर एंट्री' दी गई थी, और कई अभ्यर्थियों को बिना परीक्षा के ही नियुक्ति पत्र सौंप दिए गए थे। इन गंभीर अनियमितताओं की शिकायतें मिलने के बाद, कलेक्टर ने बैंक प्रशासक के तौर पर तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी 110 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था, जिसे बाद में बैंक प्रबंधन ने भी सही ठहराते हुए कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इस मामले की सुनवाई के उपरांत, चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने तथ्यों पर गौर करते हुए सिंगल बेंच द्वारा दिए गए आदेश को अंततः निरस्त
कर दिया।
