कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा सरकार पर कसा तंज...

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा सरकार पर तीखा तंज कसते हुए यह स्पष्ट किया है कि वर्तमान सरकार अपने घोषित मिशन और लक्ष्यों में पूरी तरह से असफल हो रही है। उन्होंने यह बताया कि चुनाव के दौरान राजनीतिक अभियानों का मुख्य मुद्दा यह था कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को देश से बाहर का रास्ता दिखाना है, जो कि एक अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जब से भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली है, डेढ़ वर्ष का लंबा समय बीत चुका है, लेकिन इस अवधि में इस संबंध में एक भी ठोस जानकारी या कार्यवाही सामने नहीं आई है। इस प्रकार, ठाकुर ने सरकार की नीति और कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए जनता के समक्ष एक गंभीर चिंतन का विषय प्रस्तुत किया है।

 कांग्रेस पार्टी ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए यह कहा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं, 
चाहे वे बड़े नेता हों या छोटे, सभी के हाथ में बांग्लादेशी रोहिंग्या मुसलमानों की सूची मौजूद थी। 

यह आरोप इस बात पर प्रकाश डालता है कि ऐसी सूची का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा था। पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि पिछले डेढ़ वर्ष के भीतर,
 प्रदेश से एक भी बांग्लादेशी रोहिंग्या मुसलमान को निष्कासित नहीं किया गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है या सिर्फ चुनावी राजनीति के लिए इसका उपयोग किया है। ऐसे में, कांग्रेस ने प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी पर गंभीर सवाल उठाने का इरादा व्यक्त किया है, जो सुरक्षा और प्रवासियों से संबंधित विषयों पर उनके दृष्टिकोण को संदेहास्पद बनाता है।
 
वही, जो वर्तमान में भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन चुका है, वह यह है कि पिछले 11 वर्षों से केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का होना है। यह सरकार, जिसके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, बांग्लादेशी प्रवासियों, विशेष रूप से रोहिंग्या मुसलमानों और आतंकवादियों की गतिविधियों को रोकने में सफल होती नहीं दिखाई दे रही है। 

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इस असफलता को लेकर विपक्ष ने सरकार पर खुलकर निशाना साधा है और यह सवाल उठाया है कि आखिर ऐसे प्रवासियों की पहचान में कमी का यह दंभ कैसे सरकार की सफलता के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है विपक्षी दलों का तर्क है कि अगर प्रदेश में एक भी बांग्लादेशी या रोहिंग्या मुसलमान की पहचान नहीं हुई है, 
तो क्या यह वास्तव में इस सरकार की उपलब्धि है, या फिर यह केवल चुनावी ओखली के दावे हैं, 
जिनका उपयोग सरकार आगामी चुनावों में लाभ उठाने के लिए कर रही है। 

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इस संदर्भ में, यह जानना आवश्यक है कि बांग्लादेशी प्रवासियों और रोहिंग्या मुसलमानों की प्रदेश में उपस्थिति के संबंध में क्या सरकार के दावे सही हैं और क्या ये गलत हैं। इस विषय पर गहन विचार-विमर्श और निष्पक्ष जांच आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीति के इस पहलू को लोक कल्याण के दृष्टिकोण से सही तरीके से समझा जा सके।

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